लखनऊ( ब्यूरो): एससी एसटी एक्ट बीते कई वर्षो से विवाद का कारण रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद देश ने दो बड़े भारत बंद भी देखे। जहां दलित वर्ग इसे अत्यधिक कठोर बनाने पर बल देता है तो वहीं गैर दलित वर्ग इसे दुश्मनी साधने का एक काला कानून मानता है।
जिस कारण हमारी टीम इस विषय पर कोर्ट में चल रहे मामलो के निर्णय को लेकर एक डाटा लेकर आई है। सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश के सभी जिलों की विस्तृत रिपोर्ट हमारी ओर से प्रेषित की जाएगी।
इसी कड़ी में आज हम जौनपुर जिले के एससी एसटी कोर्ट द्वारा वर्ष 2021 में 1 जनवरी से लेकर 30 अप्रैल तक दिए गए निर्णयों को आपसे साझा करने जा रहे है।
4 माह की अवधि में कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट से जुड़े करीब 16 मामलो पर अपना निर्णय सुनाया है। इन सभी निर्णय को हमारी टीम ने जांचा व परखा है। कई मामले बीते 23 वर्षो से लंबित थे जहां कोर्ट द्वारा सुनवाई पूर्ण कर आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है।
करीब 5 वर्षो बाद हुए रिहा, गैंग रेप व एससी एसटी एक्ट में थे आरोपी
जौनपुर के थाना केराकत अंतर्गत आने वाले एक गाँव में रहने वाले दलित परिवार ने अपनी नाबालिग बेटी से झूठा बयान दिलवा कर गाँव के ही धीरज यादव व संजय यादव को गैंग रेप का आरोपी बनाया था। पुलिस ने परिवार की तहरीर के आधार पर IPC 354 A , 376D , 506 , पोक्सो एक्ट व ३(२)5 एससी एसटी एक्ट में दोनों निर्दोष युवको को आरोपी बनाया था। कोर्ट ने पाया कि मेडिकल रिपोर्ट में किसी प्रकार के गैंग रेप किये जाने से इंकार किया गया है। साथ ही पीड़िता ने परिजनों के दबाव में कोर्ट में झूठे बयान दर्ज कराये थे। सभी तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने आरोपी को दोषमुक्त करते हुए तत्काल रिहा करने का आदेश सुनाया है।
24 वर्ष बाद कोर्ट ने फसाये गए 4 व्यक्तियों को किया दोषमुक्त, इस दौरान दो ने तोड़ दिया था दम
जिले के थाना खुटहन क्षेत्र में लिखाये गए मुकदमा संख्या 158/1996 में चार राजपूत समाज के व्यक्तियों को जातिसूचक शब्द कहने व मारपीट में आरोपी बनाया गया था। इस दौरान दो व्यक्तियों दयाशंकर सिंह व रामशंकर सिंह ने सुनवाई के दौरान दम तोड़ दिया था। दो दशक से अधिक समय तक चली इस सुनवाई में आरोपी पक्ष को अनेको परेशानियों का सामना करना पड़ा। कोर्ट ने 8 फरवरी को सुनाये अपने फैसले में शेष दो आरोपियों केदार नाथ सिंह व हनुमान सिंह को दोषमुक्त करते हुए उन्हें रिहा करने के आदेश दिए गए थे।
तीन स्कूल शिक्षकों पर लगाया एससी एसटी एक्ट, तीन वर्षो बाद पाए गए निर्दोष
जिले के माँ कृष्णा सरस्वती जूनियर हाई स्कूल के तीन शिक्षकों पर छात्र को पीटने व जातिसूचक शब्द कहने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया था। थाना जलालपुर के अंतर्गत मुकदमा संख्या 158 / 2018 में सभी तीन शिक्षकों गोपाल प्रजापति, धर्मेंद्र विश्वकर्मा व राहुल यादव को परिजनों द्वारा नामजद किया गया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि बच्चो के साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी। छात्रों की शिकायत करने पर नाराज होकर उनपर मुकदमा किया गया था।
23 वर्ष बाद 3 आरोपी हुए दोषमुक्त, जमीनी विवाद था कारण
एससी एसटी कोर्ट की विशेष न्यायधीश शाजिया नजर जैदी ने अपने सुनाये फैसले में करीब 23 वर्ष पुराने मामले में तीन आरोपी सत्यनारायण श्रीवास्तव, जगनारायण श्रीवास्तव व सुशील श्रीवास्तव को दोषमुक्त कर दिया। तीनो पर मारपीट व जातिसूचक शब्द कहने के आरोप लगाए गए थे। कोर्ट ने अपनी सुनवाई में पाया कि दोनों के बीच जमीन को लेकर विवाद था जिसके कारण रंजिश में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
8 आरोपियों को करीब 20 वर्ष पुराने मामले में किया गया दोषमुक्त
एक ही परिवार के 8 लोगो पर दर्ज कराये गए इस मामले में एससी एसटी एक्ट समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था। कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए मामले को फसल सिचाई से जुड़ा पाया था। दोषी बनाये गए कई लोग बताये गए समय के दौरान घटना स्थल पर मौजूद भी नहीं थे। फिर भी रंजिशन उनका नाम घसीटा गया था। कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।
करीब 90 प्रतिशत मामले में दोषमुक्त हुए निर्दोष, महज 1 मामले में हुई सजा
कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट से जुड़े करीब 16 मामलो को इस वर्ष के शुरुआती चार माह में निपटाया है। इन सभी मामलो में महज 2 मामलो को कोर्ट ने सही पाया व महज एक में ही सजा दी। बाकि सभी मामलो में कोर्ट ने आरोपियों को झूठा फसाये जाने के कारण दोषमुक्त कर दिया।
इन मामलो में 24 वर्ष पुराने मामले भी शामिल थे। एससी एसटी कोर्ट द्वारा महज 12 फीसदी मामलो को ही सही पाते हुए आरोपियों पर दोषसिद्ध किये गए।