44 साल पहले US में रथयात्रा के लिए अमेरिकियों ने कर दिया था मना, तब डोनाल्ड ट्रंप ने की थी भारी मदद

नई दिल्ली: अमेरिका में चल रहे हिंसक प्रदर्शन से दबाव में चल रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यु तो भारत में मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी का करीबी मित्र कहा जाता है लेकिन उनका इस्कॉन व कृष्ण भगवान से 44 साल पुराना रिश्ता शायद ही कोई जानता हो।

दरअसल इस्कॉन के संस्थापक व कृष्ण भगवान के बड़े उपासक रहे श्री प्रभु पाद ने जब 4 दशक पहले अमेरिका में रथ यात्रा निकालने की सोची थी तो उन्हें तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। यह जानकारी खुद इस्कॉन मायापुर के वाइस प्रेजिडेंट व प्रवक्ता राधारमण ने लोगो से साझा करी।

वर्ष 1976 में अमेरिका के फाइनेंसियल हब न्यू यॉर्क में पहली बार बड़े तर्ज पर इस्कॉन ने भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा को निकालने का मन बनाया था। लेकिन लम्बे चौड़े व विशालकाय रथ को बनाने के लिए भी बेहद विशाल जगह की जरुरत पड़ने वाली थी।

साथ ही वह स्थान रथ यात्रा के निर्धारित मार्ग के नजदीक भी होना आवश्यक था। ऐसे में कृष्ण भक्तो ने सभी जगह जा जाकर ऐसी जगहें तलाशनी शुरू कर दी। बहुत सी जगह उन्हें पसंद भी आई मगर उनके मालिकों ने रथ यात्रा में बनने वाले विशालकाय रथ के लिए अपनी जमीने देने से मना कर दिया।

ऐसे में एक समय सभी भक्तो ने यह लगभग मान ही लिया था कि न्यू यॉर्क में विशाल रथ यात्रा निकालना संभव न हो सके। परन्तु कहते है न जहाँ कृष्ण के भक्त निराशा में घिरने लगते है वहां खुद भगवान श्री कृष्ण भक्तो की सहायता हेतु पृथ्वी पर आ जाते है।

हर जगह निराशा हाथ आने के बाद तभी किसी ने भक्तो से कहा कि पास में एक बड़े व्यापारी डोनाल्ड ट्रंप ने एक रेलवे यार्ड ख़रीदा है और वह स्थान रथ बनाने के लिए बेहद ही उत्तम जगह होगी। परन्तु दिक्कत यह थी डोनाल्ड ट्रंप शुरू से ही इवैंजेलिकल क्रिस्चियन रहे है जो दूसरे धर्मो के लिए हार्ड कोर कदम उठाने के लिए जाने जाते है। ऐसे में इन कार्यो के लिए उनसे आज्ञा मिलना नामुमकिन सा था।

फिर भी आस लगाए भक्त अगले दिन ही महाप्रसाद की एक बड़ी सी टोकरी लिए डोनाल्ड ट्रंप के पास जा पहुंचे जहाँ उनकी मुलाकात उनकी सक्रेटरी से हुई।

हालाँकि उनकी सचिव ने भक्तो की चिट्ठी व प्रसाद की टोकरी को स्वीकार्य कर लिया था लेकिन साथ ही उन्हें चेतावनी भी दी कि डोनाल्ड ट्रंप कभी भी ऐसे कार्यो के लिए हाँ नहीं कहते है और ट्रंप आपको भी ना ही कहने वाले है। यह सुनकर भक्त फिर से निराशा में घिर गए।

मगर अचानक तीन दिन बाद उनकी महिला सेक्रेट्री ने उन्हें बुलाकर कहा कि “मैं नहीं जानती की ट्रंप को क्या हुआ है उन्होंने आपके प्रसाद को ग्रहण किया व तुरंत उन्होंने कहा कि क्यों नहीं”।

यह सुनकर भक्त ख़ुशी से झूम उठे। उसके बाद सक्रेटरी ने उन्हें उनका हस्तक्षार किया हुआ लेटर सौप दिया। फिर भक्तो ने अमेरिका के इतिहास में पहली बार विशाल रथ यात्रा को न्यू यॉर्क की गलियों में घुमाया व भक्तो को अमेरिका में दर्शन दिए।

आज वह डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका का राष्ट्रपति है।


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Why Aarushi Kapoor is writing this piece?

Aarushi Kapoor is a student of journalism at the University of Delhi. She has a very keen interest in National politics and a knack over liberals and left-oriented politics. Moreover, She loves right because right is always right!

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