भारत के खिलाफ आये हर रेसोलुशन पर रूस ने किया वीटो, कश्मीर भी आज रूस की वजह से है भारत का अभिन्न अंग !

यूएन: आज जहाँ हम दुनिया भर में कश्मीर पर 370 हटाने को लेकर बड़े बड़े देशो से सहयोग जुटा रहे है तो आजादी के बाद एक समय ऐसा भी था जब भारत को घेरने के लिए पूरा पस्च्मि एक ओर हो गया था। पाकिस्तान के खेमे में खड़े यूएस, यूके, जापान, इटली व फ्रांस ने कोई मौका नहीं छोड़ा था जब इन सबने मिलकर कश्मीर को भारत से अलग करना न चाहा हो।

लेकिन तब के USSR व आज के रूस ने भारत को बढ़ चढ़ कर अपना सहयोग दिया था। या यु कहें जो आज जिस कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया है उस कश्मीर को भारत में बनाये रखने के लिए रूस ने हर दफा अन्य देशो की कड़ी आलोचनाओं को झेलते हुए भारत के पक्ष में वीटो कर दिया था।

वीटो करने का यह सिलसिला 20 फरवरी 1957 से शुरू हुआ था जब कश्मीर में जनमत संग्रह व यूएन की सिक्योरिटी फाॅर्स भेजने के लिए पाकिस्तान के पक्ष में शेष चार परमानेंट देशो ने रेसोलुशन पेश किया था जिसके विपक्ष में रूस इकलोता ऐसा देश था जिसने इस रेसोलुशन के खिलाफ वोट देते हुए इसे भारत व यूएन के चार्टर की खिलाफर्जी बताया था।

वहीं आगे 22 जून 1962 को आये एक अन्य सिक्योरिटी कौंसिल रेसोलुशन पर भी रूस ने वीटो कर दिया था।

भारत के खिलाफ पेश हुए थे 5 UNSC रेसोलुशन, पांचो पर रूस ने कर दिया था वीटो
सबसे अधिक सहयोग रूस की ओर से वर्ष 1971 को हुई इंडो पाक वॉर में देखने को मिला था। जहाँ यूएस की ओर से भेजे गए जंगी बेड़े को USSR ने ही रोका था तो वहीं यूएन में भी रूस ने भारत को बढ़ चढ़ कर सहयोग दिया था।

एक ही माह में आये तीन रेसोलुशन पर लगातार तीन बार वीटो कर भारत के खिलाफ होने वाली कार्यवाई से बचाने में USSR ने भारत की मदद की थी। 4, 5 व फिर 13 दिसंबर को पेश किये गए रेसोलुशन को USSR ने किनारे करते हुए यूएन की हर कार्यवाई को कूड़ेदान में डाल दिया था।

भारतीय सेना को मजबूती प्रदान करने में भी है USSR का हाथ
भारतीय सेना आज भी जीते गए सभी पाकिस्तानी युद्धों में USSR द्वारा निर्मित जंगी साजो सामानों की अहमियत का लोहा मानती है। 1971 में पाकिस्तान की ओर से आये लेबनान, सऊदी अरब व लीबिया के लड़ाकू विमानों को भी भारतीय एयर फाॅर्स व नेवी ने धूल चटा दी थी।

MIG21 during Indo-Pak war in1971

हालाँकि इन देशो द्वारा लड़ाकू विमानों को भेजने का फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन का था जिन्होंने तीनो देशो को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। खैर USSR के कड़े रुख के कारण यूएस व अन्य देश पूर्ण रूप से पाकिस्तान की मदद को आगे नहीं आ सके थे।

वहीं USSR के विघटन के बावजूद भारत व रूस के बीच सम्बन्ध आज भी अटूट है। हाल ही में हुई 5 बिलियन डॉलर से अधिक की S400 डिफेंस सिसटम डील भी दोनों देशो के मध्य रिश्तो की मजबूती को खुद बयान करती है।


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Why Sharma Shubham is writing this piece?
Shubham Sharma is an author at Asia Times. He is a Delhi based journalist mostly reports on foreign affairs and international relations. He has also been worked for the Courier International(A Paris based popular french media organization), Modern Diplomacy( EU based foreign affairs weekly magazine), Foreign Policy Times, and Jihad Watch(US-based think tank). Follow him on twitter @ShubhamSharm11

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