बलूचिस्तान में मोदी की मूर्ति की घोषणा करने वाली बलूच नेता बोलीं- ’14 अगस्त बलूचों के लिए काला दिन’

बलोचिस्तान: जब पाकिस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया तब बलूचों ने आजादी की धुन छेड़ दी है।

पाकिस्तान के आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बलोचिस्तान के लोगों में सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा देखने को मिला। बलोचिस्तान की आजादी के लिए लड़ने वाले संगठन बलूच पीपुल्स कांग्रेस की चेयरपर्सन नायला क़ादरी बलूच ने 14 अगस्त को बलूचिस्तान के इतिहास में ‘काला दिवस’ कहा।

कादरी ने कहा कि “पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर आक्रमण किया गया था, क्योंकि पाकिस्तान एक भू-भाग वाला देश था। वे बलूच बंदरगाहों को चीन को बेच रहे हैं और बलूच लोग इसके खिलाफ हैं। बलूच लोगों के लिए 14 अगस्त मानव इतिहास का सबसे बुरा दिन है, जैसे प्रलय के दिनों में।”

अंत में उन्होंने कहा कि “बलूच लोग, सुंदिश, पश्तून, मुहाजिर, हिंदू- हर कोई जेल में है।”

बलूचिस्तान में आजादी का झंडा बुलंद करने वाली कद्दावर नेता नायला कादरी ने मोदी की तारीफों के पुल बांधते हुए उन्हें बलूचिस्तान का हीरो करार दिया था।

Nayla Qadri, Baloch Freedom Leader

बलोचिस्तान आजाद हुआ तो पहली मूर्ति मोदी भाई की: कादरी 

सितंबर 2019 में बनारस में आयोजित संस्कृति संसद में बोलते हुए नायला कादरी ने कहा था कि “अगर बलूचिस्तान आजाद होता है तो वहाँ मोदी भाई की मूर्ति सबसे पहले लगाई जाएगी।” उन्होंने आगे लोगो को सम्बोधित करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए 15 अगस्त में किये गए बलूचिस्तान के जिक्र ने बलूच लोगो की आस जगा दी है और वहाँ हमें भारत से मदद की दरकार है।

बलूच नेता कादरी ने बनारस की तारीफ करते हुए कहा था कि बनारस ने भारत को एक नायाब हीरा दिया है जिसने बलूच लोगो पर हो रहे पाकिस्तान के अत्याचार को दुनिया के समक्ष उजागर किया है। अगर भारत सरकार इजाजत दे तो बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार का गठन वाराणसी में ही किया जाएगा।”

आपको हम बताते चले की पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर अवैध कब्ज़ा किया गया है जिसका मुद्दा सर्वप्रथम मोदी सरकार द्वारा पूरे जोर शोर से उठाया गया था। वही पिछले 70 में सालो में मोदी ही पहले ऐसे प्रधानमंत्री हुए है जिन्होंने सबसे पहले बलूचिस्तान के मुद्दे को लाल किले के अपने भाषण में पिरोया था।

जिसके बाद से बलूचिस्तान के लोगो में आजादी की आस एक बार फिर हिलोरे मार रही है और भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रही है

वही नायला ने इसके साथ ही दोहराया कि मध्य एशिया से सीधा संपर्क बलूचिस्तान के माध्यम से ही मिलेगा व बलूचिस्तान ने अपने खून की आहुति देते हुए माता हिंगलाज के मंदिर को अभी तक सहेजे हुए रखा है। बलूचिस्तानी एक कटोरे पानी की मदद को सदियों तक याद रखते है और वह एक ऐसा देश का निर्माण करेंगी जो धर्म निरपेक्ष भी होगा।


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