कोलकाता: फुरफुरा शरीफ के अनुयायियों को लुभाने के लिए टीएमसी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मशहूर मुस्लिम धार्मिक स्थल के विकास के लिए 2.60 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
ये आवंटन आचार संहिता आने से कुछ घंटे पहले शुक्रवार को विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के प्रभाव में किया गया।
इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इस फंड का उपयोग मुख्य रूप से 20 उच्च मस्तूल और 400 एलईडी स्ट्रीट लाइट और तीर्थ के अन्य सौंदर्यीकरण परियोजनाओं के लिए किया जाएगा। वित्त वर्ष 2020-21 में, वित्त विभाग ने कम से कम 60 योजनाओं और फुरफुरा शरीफ विकास प्राधिकरण के लिए लगभग 20 करोड़ रुपये आवंटित किए।”
ज्ञात हो कि फुरफुरा शरीफ के मौलवी पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने बंगाल चुनाव के मद्देनजर इंडियन सेकुलर फ्रंट नामक पार्टी लांच की थी। जिसने कांग्रेस व वाम दलों के साथ गठबंधन किया है।
वहीं TMC की इस आशंका के बीच फंड आबंटन का निर्णय आया है कि सिद्दीकी के नए इंडियन सेकुलर फ्रंट (ISF) का समर्थन अल्पसंख्यक समुदाय के बीच हो सकता है, जिसमें राज्य की आबादी का 30 प्रतिशत शामिल है।
एक टीएमसी नेता के अनुसार, आईएसएफ हुगली, हावड़ा और उत्तरी 24 परगना सहित कम से कम चार-पांच जिलों में बोलबाला है। सिद्दीकी ने गुरुवार को घोषणा की थी कि वाम मोर्चा अपनी पार्टी को 30 सीटें देने के लिए सहमत हो गया है। उन्होंने कहा कि आईएसएफ रविवार को कोलकाता में कांग्रेस-वाम गठबंधन के नेतृत्व में एक रैली में भाग लेगा।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने इसके बाद फैसला लिया है सिद्दीकी के चाचा और प्रतिद्वंद्वी तोहा सिद्दीकी ने गुरुवार को राज्य सचिवालय में बनर्जी और शहरी विकास और नगर मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम से मुलाकात की।
ताहा ने अपने भतीजे को वामपंथियों के साथ सीट के डील की घोषणा करने के लिए फटकारा था, यह कहते हुए कि वह “पीरजादा के बजाय कम्युनिस्ट” बन रहा था। उन्होंने आरोप लगाया: “वह (अब्बास) भ्रष्टाचार के कुछ गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं, और यही कारण है कि उन्हें सीपीएम और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए मजबूर हुआ है।”