जातिसूचक शब्द से ‘एक्ट’ भी लगता है, आगे लिखने से नौकरी भी’ : रोहित सरदाना

नईदिल्ली : पत्रकार व एंकर रोहित सरदाना नें देश की जातिवादी राजनैतिक व्यवस्था पर अहम सवाल उठाया और कहा कि ये राजनीति का माखौल है |

दरअसल रोहित सरदाना देश के वरिष्ठ पत्रकारों में से एक व आज तक में एंकर हैं | उनका एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल है उस वीडियो की एक क्लिप हमारे न्यूज पोर्टल http://falanadikhana.com की सोशल मीडिया टीम के हाथों लगी काफ़ी खोज बीन करने के बाद पता चला कि आज तक एंकर रोहित सरदाना यूट्यूब पर अपने दर्शकों से लाइव चैट करते हैं और उनके सभी सवालों का बखूबी जवाब भी देते हैं |

इसी क्रम में राजनीति में काफ़ी रूचि लेने वाली दर्शक जागृति गुप्ता नें रोहित सरदाना के लाइव चैट शो में सवाल किया कि “अगर आप किसी को मुल्ला (मुस्लिम) कह दो, तो समझ लो कानून का उल्लंघन हो गया, पर कागजों में ये खुद हाइलाइट करेंगे क्योंकि माइनॉरिटी का फायदा मिलेगा।

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यही हाल SC/ST जैसी जातियों के साथ भी है। फिर कागजों में क्यों आंदोलन करके भी गिर रहे हो ? नरेंद्र मोदी व रोहित सरदाना सर गरीबी को परिभाषित करवाइए |”

काफ़ी कठिन व राजनैतिक सवाल पर पत्रकार रोहित सरदाना नें अपनी ही शैली में जवाब देते हुए कहा कि “बड़ी अजीब सी परिस्थिति है इस देश में वैसे आपके ऊपर कानून लग जाएगा यदि किसी को आप जातिसूचक शब्द से संबोधित कर दो तो लेकिन नौकरी आपको आगे मिल जाएगी यदि उसमें जातिसूचक शब्द आगे लिख दो | यह इस देश की राजनीतिक व्यवस्था का माखौल (मजाक) है | आप अगर गरीबी हटाना शुरू करते हैं तो गरीब से शुरू करिए, कि पहले आप उसकी जाति, धर्म, संप्रदाय, उसका शहर वह सब पूछेंगे फिर उसकी गरीबी का आकलन करेंगे, गरीबी का आकलन कीजिए गरीबी की परिभाषा तय कीजिए | गरीब किसको मानते हैं किसको नहीं उसी हिसाब से कटेगराइजेशन  करिए और गरीबी हटाने की दिशा में काम शुरू करिए | नहीं, उसमें जाति भी आएगी, धर्म भी, उसमें समुदाय भी आएगा, इसलिए तो आज तक हो नहीं पाया |”

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2 Comments

  1. अगर तुम्हे कानून की इतनी समझ होती तो इस प्रश्न का सही जवाब दे पाते न कि बात को घुमाते और संविधान पर कटाक्ष करते।

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