लखनऊ: उत्तर प्रदेश के गोंडा में एससी-एसटी कोर्ट ने दलित युवक की हत्या के आरोपित दो आरोपियों को बरी कर दिया है। वर्ष 2019 में एक दलित व्यक्ति द्वारा मामला दर्ज किया गया था और इस घटना के लिए दो ब्राह्मण पुरुषों सूरजमणि पांडे और लालमणि तिवारी को जिम्मेदार ठहराया था। आवेदन के आधार पर एतियाठोक थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेज दिया था।
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मीता सिंह ने पाया कि घटना की कथित जगह सही नहीं थी। आवेदक ने कहा कि उसके भाई की हत्या उस समय की गई जब वह अपने चाचा के यहां मुंडन अनुष्ठान में शामिल होने गया था। हालांकि ट्रायल के दौरान उसके चाचा ने कबूल किया था कि मुंडन की कोई रस्म नहीं थी और उस वक्त वह लुधियाना में था। गवाहों के बयानों में भारी अंतर्विरोधों ने आवेदक के दावों पर संदेह पैदा कर दिया है।
“मृतक की मौत एक दुर्घटना के कारण हुई थी”
आरोपित ने आरोप लगाया कि दो परिवारों के बीच पुरानी रंजिश चल रही थी। मृतक व्यक्ति की एक दुर्घटना के कारण मृत्यु हो गई थी और उन पर एक दलित व्यक्ति की हत्या के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
दो साल बाद कोर्ट ने किया बरी
दो साल जेल में बिताने के बाद एससी-एसटी कोर्ट ने आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। कोर्ट ने झूठे मर्डर केस में आरोपित आरोपियों को रिहा करने का निर्देश दिया है।
Shivam Pathak works as Editor at Falana Dikhana.