कोटपूतली: राजस्थान के कोटपूतली के स्थानीय थाने में एसडीएम सुनीता मीणा ने शनिवार देर रात हंगामा कर दिया। दो दिन पहले आरटीआई कार्यकर्ता की ओर से एसडीएम सुनीता मीणा के खिलाफ दर्ज कराए मामले से खफा एसडीएम ने थाने पहुंचकर जमकर हंगामा किया।
पूरा मामला दो दिन पुराना है जब गुरुवार को आरटीआई कार्यकर्ता राव धनवीर सिंह ने कोटपूतली एसडीएम सुनीता मीणा और मातहत कर्मचारी के खिलाफ फर्जी दस्तावेज बनाकर राजकोष के गबन का मामला दर्ज कराया था। रिपोर्ट में बताया था कि 7 जनवरी 2021 को भूमि अवाप्ति अधिकारी एसडीएम से दस्तावेज मुहैया कराने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था लेकिन लोक सूचना अधिकारी एसडीएम ने दस्तावेज मुहैया कराने की बजाय लोक से वित्तीय कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया। इसके बाद 4 मार्च 2021 को इसकी अपील की गई। इस पर एडीएम ने तमाम सूचनाएं मुहैया कराने के निर्देश दिए इसके बावजूद भी लोक सूचना अधिकारी एसडीएम ने दस्तावेज मुहैया नहीं कराए।
इसी से खिन्न एसडीएम ने अपने पिता के साथ पुलिस थाने में रिपोर्ट दी कि एसएचओ दिलीप सिंह शेखावत व आरटीआई कार्यकर्ता राव धनवीर सिंह को अनुसूचित जाति की महिला अधिकारी को हैरान परेशान व प्रताड़ित करने की नीयत से उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
एसडीएम ने रिपोर्ट में आगे लिखवाया है कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाने की वजह से विभिन्न समाचार पत्रों में खबर छपने के बाद महिला अधिकारी की गरिमा को ठेस पहुंची है। साथ ही उन्होंने आगे लिखवाया है कि एसएचओ व आरटीआई कार्यकर्ता ने बार-बार जान से मारने एवं पद से हटवाने की धमकियां दी। ब्लैकमेल कर लाखों रुपए की मांग की। बार-बार जातिसूचक शब्द बोलकर बर्खास्त कराने की धमकी भी दी।
एसडीएम की शिकायत पर पुलिस ने SC ST एक्ट, राजकार्य में बाधा, मानहानि का मामला दर्ज कराते हुए एसएचओ व आरटीआई कार्यकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। इस संबंध में एसएचओ दिलीप सिंह शेखावत ने कहा कि वे आरटीआई कार्यकर्ता राव धनवीर को जानते तक नहीं, एसडीएम की ओर से लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद और निराधार हैं।
थाने में 3 घंटे तक चला हंगामा
एसडीएम सुनीता मीणा ने आरटीआई कार्यकर्ता और एसएचओ पर एफआईआर दर्ज कराने को लेकर थाने पहुंचकर देर रात तक हंगामा किया। एसडीएम की रिपोर्ट पुलिस ने दर्ज कर ली थी लेकिन एसडीएम ने पता नहीं बताया। जिसको लेकर पुलिस अधिकारी 3 घंटे से अधिक तक एसडीएम को समझाते रहे कि बिना पूरा पता बताएं एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। एसडीएम अपनी डेजिग्नेशन के आधार पर रिपोर्ट दर्ज करने की बात पर अड़ी रही। बाद में कुछ लोगों से फोन पर सलाह लेने के बाद एसडीएम ने अपना पता बताया। तब जाकर उनकी एफआईआर ऑनलाइन हुई। रात करीब 10:30 बजे पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एसडीएम ने साइन किया।
एफआईआर में इतने दिनों की देरी पर उठ रहे हैं सवाल
एसडीएम सुनीता द्वारा जातिसूचक शब्द बोलने, ब्लैकमेल कर लाखों रुपए की मांग करने, जान से मारने की धमकी देने के आरोप लगाकर दर्ज करवाई गई एफआईआर पर सवाल उठ रहें हैं। एसडीएम ने एफआईआर तब क्यों नहीं दर्ज करवाई जब उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा था और जान से मारने की धमकी मिल रही थी। दूसरी ओर आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के ठीक दो दिन बाद एसडीएम द्वारा एफआईआर दर्ज होने से और ज्यादा सवाल उठ रहे हैं।
एफआईआर दर्ज करवाने के बाद एसडीएम सुनीता मीणा मीडिया के सवालों का जवाब दिए बिना ही थाने के पिछले दरवाजे से दूसरी गाड़ी में बैठकर चली गई। मामले की जांच स्वयं डीएसपी दिनेश यादव करेंगे। हालांकि इस पूरे मामले पर एसएचओ दिलीप सिंह शेखावत ने एसडीएम द्वारा लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद और निराधार बताए हैं।
सरकार सख्त, SDM को किया ट्रांसफर
SDM द्वारा RTI एक्टिविस्ट पर FIR कराने पर हुई किरकिरी पर सरकार ने सख्ती से पेश आते हुए SDM को स्थान्तरित करने के आदेश दिए है। उन्हें अगले आदेश तक कार्मिक विभाग से अटैच कर दिया है।
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Young Journalist covering Rural India, Investigation, Fact Check and Uttar Pradesh.