भोपाल: मिंटो हॉल का नाम बदलकर संविधान सभा के पूर्व उपसभापति हरिसिंह गौर के नाम पर करने की मांग, मंत्री बोले- अच्छा सुझाव है

भोपाल: मध्यप्रदेश में भी अब नाम बदलने की मुहिम ने जोर पकड़ लिया है। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति स्टेशन हुआ तो अब भोपाल के मिंटो हॉल के नाम को भी बदलने की माँग उठी है।

देश आज संविधान दिवस मना रहा है इसी बीच प्रदेश भाजपा महामंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित पुरानी विधानसभा के मिंटो हॉल का नाम महान शिक्षाविद, सागर में विश्वविद्यालय के संस्थापक सहित कई विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपति और संविधान सभा के उपसभापति रहे डॉ. हरिसिंह गौर के नाम पर करने का सविनय आग्रह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी से है।

भाजपा नेता का कहना है कि डॉ हरिसिंह गौर जी की हस्ती के मुकाबले मांग बहुत छोटी है पर अहमियत नामकरण की भी है। मिंटो हॉल का नाम डॉ हरिसिंह गौर पर रखा जाना चाहिए।

रजनीश ने यह भी कहा कि 26 नवंबर को देश संविधान दिवस के रूप में मनाता है और यही दिन डॉ हरिसिंह गौर की जयंती का भी है। यह नामकरण शिक्षा, साहित्य कानून और सामाजिक सरोकारों पर सार्थक कार्य करने वालों को एक प्रेरणा पुंज के तौर पर कार्य करेगा।

कांग्रेस भी नाम बदलने के पक्ष में

इस माँग के साथ कांग्रेस ने भी अपने आप को जोड़ा है। प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि हम आज़ादी का 75 वाँ अमृत महोत्सव मना रहे है। ग़ुलामी के प्रतीक भोपाल के मिंटो हाल का नाम बदलकर मामा टँटया भील के नाम पर कर देना चाहिये।

सलूजा ने यह भी कहा कि यह मामा टँटया भील के बलिदान दिवस पर सच्चा तोहफ़ा होगा। भाजपा की अगली कार्यसमिति की बैठक भी वही होना है, उसमें भी यह प्रस्ताव पारित होना चाहिये।

ये अच्छा सुझाव है: मंत्री

इस माँग का शिवराज सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भी समर्थन किया है। नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भोपाल में कहा किमिंटो हॉल का नाम बदलकर डॉ. हरिसिंह गौर के नाम पर रखा जाएगा, ये एक अच्छा सुझाव है। हरिसिंह गौर को भारत रत्न से भी सम्मानित किया जाना चाहिए। उनसे बड़ा योगदान शिक्षा के क्षेत्र में और किसी का नहीं हो सकता है।

क्या है मिंटो हॉल का इतिहास

भोपाल की चौथी और आखिरी बेगम – नवाब सुल्तान जहान बेगम ने भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो को सम्मानित करने के लिए बेहद खूबसूरत ‘मिंटो हॉल’ की कल्पना की थी। मिंटो हॉल की आधारशिला 12 नवंबर 1909 को रखी गई थी।

इमारत को आखिरकार नवाब सुल्तान जहान बेगम के बेटे नवाब हमीदुल्ला खान ने पूरा किया। इस हेरिटेज बिल्डिंग के आर्किटेक्ट एसी रोवन थे।

दिलचस्प बात यह है कि इमारत का वास्तव में कभी भी मूल उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया गया था। भारत की स्वतंत्रता और मध्य प्रदेश राज्य के गठन के बाद, यह मध्य प्रदेश राज्य सरकार के लिए विधानसभा हॉल के लिए एक स्वाभाविक पसंद बन गया।

मिंटो हॉल को 01 नवंबर 1956 से 02 अगस्त 1996 तक मध्य प्रदेश की विधानसभा के रूप में इस्तेमाल किया गया।

इसके पूरा होने के बाद, वर्षों से, भवन को भोपाल सेना के मुख्यालय, हमीदिया कॉलेज आदि सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाया गया।

नवीकरण

मिंटो हॉल भोपाल की प्रमुख पहचान होने के कारण अब इसकी मौलिकता को भंग किए बिना एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र के रूप में पुनर्निर्मित किया गया है। मुख्य हॉल का उपयोग सम्मेलनों, भोजों, अभिनंदनों आदि जैसे अवसरों के लिए एक बहुउद्देश्यीय हॉल के रूप में किया जाता है। भवन में 2 बैठक कक्ष, दो समिति कक्ष, एक बोर्डरूम और एक मीडिया केंद्र भी है।

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