लखनऊ: भीम आर्मी चीफ व आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने कहा कि, अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए ‘‘महागठबंधन” इस वक्त जरूरी है और हर कोई जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता में वापस आने से रोकने के प्रति गंभीर हैं, उन सभी को हाथ मिलाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, ‘‘हमारी कोशिश लोगों की खातिर भाजपा से निपटने के लिए महागठबंधन बनाने की दिशा में है। इस कुशासन का अंत होना चाहिए। इसलिए भाजपा को रोकने के लिए महागठबंधन बनना चाहिए।”
बहुजन समाज पार्टी पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के डर से केंद्र के प्रति नरम रुख अख्तियार करने का आरोप लगाते हुए, उन्होंने ने कहा कि उनका नया राजनीतिक संगठन मायावती नीत पार्टी का विकल्प है। बसपा के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी उसके संस्थापक कांशीराम के सिद्धांतों के खिलाफ काम कर अपना वजूद खोती जा रही है।
पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में, आजाद ने कहा कि उन्हें बसपा समेत किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन करने में कोई गुरेज नहीं है, बशर्ते उद्देश्य योगी आदित्यनाथ की सरकार को हराने के लिए मजबूत गठबंधन बनाने का हो। उन्होंने आरोप लगाया कि योगी सरकार “तानाशाही वाला” प्रशासन चला रही है।
आजाद समाज पार्टी के प्रमुख ने कहा, “हम सभी विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर रहे हैं। राज्य और देश के सामने जब कोई समस्या आती है, तो सभी पार्टियां मुद्दों पर चर्चा करती हैं। हमारी पार्टी में, कोर कमिटी सर्वोच्च निकाय है और गठबंधनों पर अंतिम फैसला वही लेगी।” साथ ही उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए उनकी पार्टी ने फिलहाल किसी भी गठबंधन को अंतिम रूप नहीं दिया है।
न्यूनतम साझा कार्यक्रम का आह्वान करते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश में गठबंधन सरकार की वकालत की और कहा जब पार्टियों की सत्ता पर अकेले पकड़ हो जाती है तो तानाशाही वाली स्थितियां पैदा हो जाती हैं, जैसा “अभी हो रहा है।”
बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा उनपर कसे गए तंजों के बारे में उन्होंने कहा कि अगर कोई उनकी आलोचना करता है तो वह इससे परेशाान नहीं होते। आजाद ने कहा, “मैं आलोचनाओं और आरोपों से नहीं डरता।”
यह पूछे जाने पर कि क्या वह विधानसभा चुनावों के लिए बसपा के साथ गठबंधन को तैयार हैं, तो इसपर उन्होंने कहा कि वह सभी “भाजपा विरोधी” पार्टियों से गठबंधन करने के लिए तैयार हैं।
हालांकि, मायावती नीत पार्टी की तीखी आलोचना करते हुए आजाद ने यह भी कहा कि उनके मतभेद वैचारिक हैं, व्यक्तिगत नहीं।
‘रावण’ के तौर पर जाने जाने वाले आजाद ने कहा, “बसपा ने अपना वजूद खो दिया है और यह सब उसकी अपनी करनी की वजह से है, किसी और के कारण नहीं। 2012 (उप्र विधानसभा चुनाव), 2014 (लोकसभा चुनाव), 2017 (विस चुनाव) और 2019 (लोस चुनाव) के परिणामों को देखिए, उनका लगातार पतन हो रहा है।”
उन्होंने दावा किया, “अन्य राज्यों की तरफ देखें, अब उन्हें एक प्रतिशत से भी कम वोट मिल रहे हैं, चाहे केरल हो, असम हो या पश्चिम बंगाल। बसपा जमीनी स्तर पर काम न करने वाले अपने नेताओं के कारण सिमटती जा रही है और वह केवल चुनाव के वक्त लोगों के पास जाती है, जिसे लोग समझने लगे हैं।”
आजाद ने आरोप लगाया कि बसपा अपने संस्थापक कांशीराम के आदर्शों की अवहेलना कर रही है और उनके सिद्धांतों के विपरीत काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि बसपा उन सिद्धातों के आधार पर 12 वर्षों में राष्ट्रीय पार्टी बन गई थी लेकिन राष्ट्रीय पार्टी का उसका दर्ज अब खतरे में है। आजाद ने कहा कि हमने लोगों को जमीनी स्तर पर काम कर एक विकल्प दिया है। साथ ही कहा कि हम लोगों से चुनाव से पहले भी और बाद में भी साथ रहने का वादा करते हैं।
आजाद ने प्रखंड प्रमुख चुनावों में नामांकन दाखिल करने के दौरान हुई हिंसा के लिए योगी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में लोकतंत्र का “अपहरण” कर लिया गया है।
Young Journalist covering Rural India, Investigation, Fact Check and Uttar Pradesh.