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“पिता ने कहा दुष्कर्म का दो झूठा बयान वर्ना घर से निकाल दूंगा”, SC-ST एक्ट में 8 वर्षो बाद युवक निर्दोष करार

रायबरेली: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में एससी एसटी एक्ट व दुष्कर्म के मामले में पोक्सो एक्ट कोर्ट ने एक आरोपी को करीब 8 वर्षो बाद निर्दोष करार दिया है। जिले के ग्राम जेरी के रहने वाले राहुल सिंह को गाँव के ही दलित परिवार ने आपसी रंजिश के चलते दुष्कर्म व एससी एसटी एक्ट के गंभीर मामले में फसा दिया था। FIR के मुताबिक राजकुमार ने वर्ष 2013 में एक तहरीर देकर अपनी पुत्री पर राहुल सिंह द्वारा शौच के समय जबरन उठाकर जंगल में ले जाकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। तहरीर के अनुसार स्थानीय पुलिस ने आरोपी बनाये गए राहुल सिंह पर IPC 376 , 3(1)(10) एससी एसटी एक्ट व 354(ख) भा०द०सं०व 7/8 पोक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया था।

आपसी रंजिश व खेत में जानवर जाने का था विवाद
कोर्ट ने अपनी विवेचना में पाया कि दोनों पक्षों के मध्य घटना से पूर्व खेत में जानवर जाने को लेकर विवाद हुआ था। जिसपर पीड़िता के पिता राजकुमार का आरोपी राहुल से विवाद हुआ था। उसी विवाद के चलते राजकुमार ने राहुल सिंह पर गंभीर आरोप कारित किये थे। वहीं एससी एसटी एक्ट में सरकार से मिलने वाला भारी अनुदान भी एक अहम वजह रही थी।

पीड़िता ने बताया पिता ने कहा था झूठा बयान देने के लिए, अन्यथा घर से निकाल दी जाती
न्यायलय में चारो ओर से घिरते देख पीड़िता ने अपने बयान में स्वीकारा कि पिता ने उससे कहा था कि “जो बयान मै बता रहा हूँ वैसा देना नही तो घर में नही रहने दूंगा। इसी डर की वजह से वैसा बयान दिया था जो उन्होने कहा था।”

आगे पीड़िता ने बताया कि “मेरे कोई कपड़े नहीं फटे थे न मुझे चोट आई थी। मेरे जानवर राहुल के खेत में चले जाते थे। इसी बात पर पिता जी का राहुल से झगड़ा हुआ था। इसी कारण पिता जी ने झूठी FIR दर्ज करा दी थी।”

19 वर्ष की थी पीड़िता, अधिक सजा दिलाने के लिए बताया था 16 वर्ष
न्यायलय ने पाया कि FIR लिखते वक़्त पीड़िता की उम्र 19 वर्ष थी लेकिन FIR में उसकी उम्र को जानबूझकर 16 वर्ष बताया गया था। जिस कारण पोक्सो एक्ट अधिनियम इस मामले में लागू नहीं होता।

सभी तथ्यों को देखते हुए विशेष न्यायधीश ने राहुल सिंह को अपराध सं0 611/2013 अंतर्गत धारा 376, 511 भा०द०सं० 7 / 8 पाकसो एक्ट व 3(1)(10) एससी एसटी एक्ट के आरोपों से दोषमुक्त कर दिया। हालाँकि राहुल सिंह को 8 वर्षो बाद न्यायलय द्वारा न्याय प्राप्त तो हो सका लेकिन इन 8 वर्षो की भरपाई किस प्रकार की जाएगी इस पर कोई भी चर्चा नहीं करना चाह रहा है।


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