पूर्व सपा सांसद ने ‘कलावा’ को बताया गुलामी, कहा- ‘लोग न जाएं मंदिर’

आजमगढ़ (UP): सपा नेता ने सनातन धर्म को लेकर बेहद आपत्ति जनक बातें की है।

दल बदलने में माहिर पूर्व बाहुबली सांसद रमाकांत यादव ने हाल ही में वापस सपा का दामन थमा था। दामन थामते ही रमाकांत यादव ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।

उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को आयोजित कर अपने नाम के आगे पहले तो शूद्र लगाने की घोषणा करी व उसके बाद अपने हाथ से कलावे को काटते हुए इसे गुलामी का सूत्र बताया दिया। रमाकांत यादव ने यह प्रेस वार्ता हरबंशपुर स्थित अपने निवास स्थल पर बुलाई थी।

उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि “यह रक्षा गुलामी का प्रतीक है. इसलिए हम लोगों का रक्षा कटवा रहे हैं। हमने जितनी किताबें पढ़ी उसमें अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी हासिल की। जितने भी महापुरुष हुए सबकी बातों पर गौर किया। अध्ययन के बाद हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं कि हम उनके दिखाए रास्ते पर चलेंगे और लोगों को जागरूक करेंगे।”

आज हमें हिंदू के नाम पर बरगलाया जा रहा है, जबकि हमें हिंदू नहीं माना जाता है। मैंने अनेक किताबें पढ़ी जिसमें समाज चार वर्णों में बांटा था जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चार वर्ण थे। लेकिन आज लोग खुद को शूद्र कहने में शरमाते हैं। लोगों ने मुझे अपना अगुआ माना है तो हमने यह निर्णय लिया है कि मैं अपने नाम के आगे शूद्र जोड़ूंगा।”

पूर्व सांसद का सनातन धर्म के प्रति जहर उगलना इतने तक ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने साथ ही कहा कि लोगो को मंदिर नहीं जाना चाहिए जहां ज्ञान के नाम पर कुछ नहीं मिलता है। और हमारे लोग ठगे जाते हैं. हमारे लोग ज्ञान के मंदिर में जाएं जिससे हमारे समाज का विकास हो।

भीम आर्मी खुशी में झूमी
भीम आर्मी के कई नेता रमाकांत के कलवा काटने से बेहद खुश नजर आये। उन्होंने रमाकांत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह परिवर्तन की बयार है। आगे कई लोग इस बेड़ियों को तोड़ेंगे।

चार बार बदल चुके है पार्टी
बाहुबली पूर्व सांसद सबसे पहले सपा से वर्ष 2004 में बसपा में कूद पड़े थे जिसके बाद उन्होंने 2008 में बीजेपी का दामन थाम लिया था। लेकिन बीजेपी में उनकी पूछ न होने के कारण शूद्र रमाकांत यादव ने सपा का हाथ एक बार फिर पकड़ लिया था।

खैर रमाकांत यादव का यह चुनावी स्टंट सपा को किस ओर ले डूबेगा यह तो वक़्त ही बताएगा।


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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!

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