भारत में पहला मीडिया आरक्षण पर विशेषज्ञों नहीं बल्कि पाठकों की लिखेगा राय, जाने कैसे जुड़ें…?

नईदिल्ली : फलाना दिखाना डॉट काम देश में पहली बार आरक्षण पर विशेषज्ञों या नेताओं की नहीं आम आदमी की बात उठाएगा फलाना दिखाना न्यूज़, भेंजे अपनी राय और हम आपकी बातों को रखेंगे सबके सामने |

क्या है falanadikhana.com ?

दोस्तों आपने भी कई महीनों से एक न्यूज़ पोर्टल की ख़बरों हर जगह फैले हुए देखा होगा और वो न्यूज़ वेबसाइट है falanadikhana.com लेकिन इसके नाम पर हमारे कई पाठक एक प्रश्न जरूर पूछते हैं कि ये कैसा नाम है, फलाना दिखाना…? थोड़ा सुनने में अजीब लगता है, पर मजेदार है और रोचक है | इसके पीछे का कारण यह है कि हम ऐसी न्यूज़ देते हैं जिनको दूसरी मीडिया नहीं दिखाती और उनका नाम भी नहीं लेती | और आपने अक्सर सुना होगा कि जब आदमी किसी को नाम से नहीं बुलाता तो बोलता है वो फलाना आदमी | जी हाँ उसी मीडिया के फलाना आदमी की न्यूज़ को हम दिखाते हैं इसलिए इसका नाम है “फलाना दिखाना” |

फलाना दिखाना अचानक लाइमलाईट में क्यों…?

देश की राजनीति समझने वाला हर व्यक्ति इस बात से नहीं नकार सकता कि लंबे समय से जाति-धर्म की तुष्टीकरण की राजनीति चली आ रही थी लेकिन 21वीं सदी में दुनिया जब आगे जाने की होड़ लगा रही है उसी समय कुछ लोग भारत को सदियों पुरानी झंझटों में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं | हालाँकि बड़ा मीडिया इसे रोकने में जिम्मेदारी से काम नहीं कर पा रहा और वो TRP और AD तक ही सिमट गया | ऐसे में वैकल्पिक मीडिया या ऑनलाइन मीडिया नें लोगों को जागरूक करने का सराहनीय काम किया है |

इसी क्रम में जब 15 अक्टूबर 2018 को दिल्ली विश्वविद्यालय के जर्नलिज्म डिपार्टमेंट के दो बच्चे अपना ख़ुद का मीडिया स्टार्टअप खोलते हैं और इसमें किसी प्रकार की कोई सहायता चाहे पैसे की हो या अन्य कोई लिए बिना लोगों को न्यूज़ देना शुरू किया | इसी बीच में देश में 17वीं लोकसभा के चुनावी दौर शुरू हो गए और फिर शुरू हुआ पार्टियों व नेताओं का जात-पात बाँट फ़ार्मूला और संविधान में दिए गए सबसे संवेदनशील मुद्दे यानी आरक्षण की राजनीति | जिसका आज के परिवेश में युवा अवचित्त ही नहीं देख रहा उसका कहना है कि दुनिया चाँद की ओर देख रही है और हमारे नेता जात | ऐसे में जातिगत राजनीति को सभी मीडिया नें बस एक खबर के रूप में दिखाया और हमनें इसे पाठकों की रूचि पर प्रमुखता से दिखाया |

कैसे बना सोशल मीडिया का किंग…?

यही करते करते हमनें देश को बाँटने वाली राजनीति का मीडिया के रूप में प्रमुख रूप से विरोध किया और पाठकों नें हमारे 21वीं सदी के सोच को सराहा और खूब प्रोत्साहित किया | देखते देखते सोशल मीडिया में करोड़ों लोगों तक हमारी न्यूज़ पहुंच गई |

https://www.facebook.com/Kahofalane/?ref=bookmarks

https://twitter.com/FDikhana

बड़ी-बड़ी हस्तियों नें हमारी न्यूज की विश्वसनीयता को देखते हुए शेयर करना शुरू कर दिया | कुछ लोगों की जानकारी हमें लॉग इन यूजर के रूप में मिल पाई कि बालीवुड फ़िल्म निर्माता-निदेशक विवेक अग्निहोत्री, वाणिज्य एवं ऊर्जामंत्री मध्यप्रदेश (पूर्व) राजेंद्र शुक्ल, कश्मीरी शरणार्थियों के लिए दशकों से काम करने वाली सबसे बड़ी संस्था इंडिया फ़ॉर कश्मीर, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष, रीवा(मप्र) के विधायक और इसके अलावा कई पत्रकारों नें हमारी न्यूज को ख़ुद के अकाउंट से शेयर किया |

अब हमारे पाठकों नें कहा कि आप देश में लंबे समय से चली आ रही जातिगत राजनैतिक व्यवस्था का निडर होकर ख़ुलासा कर रहे हैं और हमें ये काफ़ी पसंद आ रहा है तो क्यों न जो आम आदमी भी इस विषय पर अपनी बात रखना चाहता है उसको भी अपनी बात रखने का मौका मिले |

कैसे बनें हमारे फलाना बाकी हमारा काम आपको दिखाना…? 

हमनें इसके लिए सबसे सरल माध्यम falanadikhana.com का आधिकारिक ईमेल चुना जिस पर कोई भी पाठक जातिगत राजनीति के नुकसान व फ़ायदे पर अपनी राय भेजेगा और हम उसके नाम व फ़ोटो के साथ प्रकाशित करेंगे हालाँकि इन लेखों की हमारी टीम प्रमाणिकता जाँचेगी, तथ्यों को खंगालेगी और भाषा को परखेगी और फिर इसके बाद लेख अंत में यदि इन परीक्षाओं में टीम खरा पाती है तो एक हफ़्ते के अंदर आपके लेख को प्रकाशित कर दिया जाएगा और इसकी सूचना आप ईमेल के द्वारा पा जाएँगे और इसे आप हमारे सोशल मीडिया ट्विटर-फ़ेसबुक के आधिकारिक हैंडल पर पा सकेंगे | तो हमें falanaeditor@gmail.com पर  ईमेल करें |

https://falanadikhana.com/adertisement/

https://falanadikhana.com/contact-us/

 

 

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