गांधीनगर: लवजिहाद और छल कपट से धर्मांतरण कराने को लेकर बनाए गए कानून को गुजरात सरकार जल्द लागू करेगी।
आज मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राज्य में लव-जिहाद जैसे मामलों और केवल धर्मांतरण या केवल विवाह के उद्देश्य से धर्मांतरण के मामलों के लिए गुजरात धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम-2021 को 15 जून से लागू करने का निर्णय लिया है।
अप्रैल में विधानसभा में हुआ पास
गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल में गुजरात विधानसभा ने गुरुवार को फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2003 बिल पारित किया था जो विवाह द्वारा जबरन या धोखेबाज धर्मांतरण को दंडित करता है।
3-10 साल की सजा का प्रावधान
आरोपी के दोषी पाए जाने पर विधेयक में 3-10 साल की जेल और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना होगा। विधेयक 2003 के एक अधिनियम में संशोधन करता है। बजट सत्र के समापन के दिन गुजरात विधानसभा ने धर्म स्वातंत्र्य (धर्म की स्वतंत्रता) अधिनियम, 2003 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पारित किया था जिसका मकसद, बलपूर्वक धर्मांतरण का सामना करना है।
वहीं कांग्रेस विधायक इमरान खेडावाला ने विरोध में ‘धर्म स्वातंय’ (धर्म की स्वतंत्रता) अधिनियम, 2003 को संशोधित करने के लिए प्रस्तावित विधेयक की एक प्रति को भी फाड़ दिया।
हिंदू लड़कियों को शादी का लालच देने से रोकेंगे
गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने पहले ही कहा था “हम गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट, 2003 में संशोधन करने जा रहे हैं। हम राज्य विधानसभा के समक्ष एक कानून पेश करने जा रहे हैं, जो धार्मिक परिवर्तन के उद्देश्य से लोगों को हिंदू लड़कियों को शादी का लालच देने से रोकेंगे।”
बिल में कहा गया है “एक उभरती हुई प्रवृत्ति है जिसमें महिलाओं को धर्मांतरण के उद्देश्य से शादी का लालच दिया जाता है।” गृहमंत्री ने विधेयक पास होने के बाद भी जानकरी दी।
नाबालिग, दलित आदिवासी वाले मामलों में ज्यादा सजा
अपराध करने पर 3-5 साल की कैद और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना भरना होगा। यदि पीड़ित नाबालिग, महिला, दलित या आदिवासी है, तो अपराधियों को 4-7 साल की जेल की सजा और 3 लाख रुपये से कम का जुर्माना नहीं हो सकता है।