पटना: बिहार के जदयू नेता अजय आलोक द्वारा आरक्षण में संशोधन की मांग के बाद प्रदेश में आरक्षण पर फिर राजनीति गर्म हो गई है।
एक तरफ जहां आरजेडी और कांग्रेस जैसे विरोधी दल सरकार घेरने में लगे हैं वही सरकार के सहयोगी हम ने अभी आरक्षण व्यवस्था का समर्थन किया है साथ में निजी क्षेत्र में भी लागू करने की मांग कर दी।
दरअसल बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और ‘हम’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने भी आरक्षण का समर्थन करते हुए ट्वीट कर कहा कि आरक्षण था, है और जब तक सब बराबर न हो जाएं, तब तक रहेगा। दलितों-आदिवासियों के विरोधी ही आरक्षण में संशोधन की बात कह सकते हैं।
निजी क्षेत्र व न्यायपालिका में भी आरक्षण
आगे माँझी ने कहा कि हमारा तो मानना है कि निजी क्षेत्रों और न्यायपालिका में भी आरक्षण हो। इसके लिए जल्द ही दिल्ली में कार्यक्रम करेंगे। पार्टी प्रवक्ता डॉ. दानिश रिजवान ने भी बताया कि दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में पार्टी आरक्षण को लेकर बड़ी जनसभा करेगी।
अजय आलोक ने की थी ये माँग
दरअसल दो दिन पहले आरक्षण की एक खबर को साझा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए जदयू नेता अजय आलोक ने कहा था कि संशोधन कर एक नियम बनाना चाहिए कि एक बार अगर आरक्षण के लाभ से अगर पढ़ाई आगे नौकरी मिल गयी हो तो उस व्यक्ति की अगली पीढ़ी को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए तभी इन जातियों के बड़े वर्ग को लाभ मिल सकेगा।
जदयू नेता ने आरक्षण पर कुछ ही तबके पर नियंत्रण मानते हुए ये भी कहा था कि कुछ परिवारों की पकड़ से आरक्षण को छुड़ाना ज़रूरी हैं।
नीतीश ने बनाई दूरी, दिया सुझाव
वहीं अजय आलोक के आरक्षण में संशोधन वाले बयान ने जल्द ही बिहार की राजनीति में तूल पकड़ लिया। तो जब इसी से जुड़ा प्रश्न मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने आरक्षण के मामले में केंद्र में भी बिहार के फाॅर्मूले पर विचार करने की बात कही । अगर केंद्र में भी आरक्षण के प्रविधान में बदलाव की बात हो तो बिहार की तरह लागू किया जा सकता है। अभी केंद्र में सिर्फ पिछड़ा वर्ग को ही रखा गया है, जबकि बिहार में अति पिछड़ों को भी आरक्षण दिया जा रहा है। केंद्र और बिहार में आरक्षण के जो प्रावधान पहले से लागू हैं, उनसे छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।
आगे नीतीश ने ये भी कहा कि यदि किसी प्रकार का आकलन, सर्वे या बहस चल रहा है तो वो हो, मगर किसी को आरक्षण से वंचित नहीं किया जाना चाहिए । उन्होंने कहा है कि अब तो आर्थिक आधार पर भी जो एससी-एसटी नहीं भी हैं उन्हें भी आरक्षण दे दिया गया है, फिर आरक्षण खत्म करने या इसके प्रावधान में संशोधन का सवाल ही कहां उठता है।
जातिगत जनगणना की मांग:
इसके अलावा जब नीतीश कुमार से जातिगत जनगणना को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वे स्वयं चाहते हैं कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए। नीतीश ने कहा कि हम तो पहले से ही चाहते हैं कि जाति के आधार पर जनगणना होनी चाहिए। देश में किस जाति के कितने लोग हैं यह पता चल जाएगा तो फिर उनके लिए और क्या करना चाहिए इसका निर्णय लेने में आसानी होगी।