नई दिल्ली: अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अफगानिस्तान में सत्ता-परिवर्तन समावेशी नहीं है।
शुक्रवार को अफगानिस्तान की स्थिति पर SCO और CSTO के बीच विशेष बैठक को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम का सबसे अधिक प्रभाव हम जैसे पड़ोसी देशों पर होगा। और इसलिए, इस मुद्दे पर क्षेत्रीय फोकस और क्षेत्रीय सहयोग बहुत ही आवश्यक है। इस संदर्भ में हमें चार विषयों पर ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा कि पहला मुद्दा यह है कि अफगानिस्तान में सत्ता-परिवर्तन समावेशी नहीं है, और बिना वार्ता के हुई है। इससे नई व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं। महिलाओं तथा अल्पसंख्यकों सहित अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व भी महत्वपूर्ण है।
और इसलिए, यह आवश्यक है कि नई व्यवस्था की मान्यता पर फैसला वैश्विक समुदाय सोच-समझ कर और सामूहिक तरह से ले। इस मुद्दे पर भारत संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका का समर्थन करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दूसरा विषय है कि, अगर अफगानिस्तान में अस्थिरता और कट्टरवाद बना रहेगा, तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा। अन्य उग्रवादी समूहों को हिंसा के माध्यम से सत्ता पाने का प्रोत्साहन भी मिल सकता है। हम सभी देश पहले भी आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं। और इसलिए हमें मिल कर सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान की धरती का उपयोग किसी भी देश में आतंकवाद फैलाने के लिए न हो।
उन्होंने अंत में कहा कि अफगान और भारतीय लोगों के बीच सदियों से एक विशेष संबंध रहा है। अफगान समाज की सहायता के लिए हर क्षेत्रीय या वैश्विक पहल को भारत का पूर्णसहयोग रहेगा।