हाई कोर्ट ने दिया था यूनिवर्सिटी में अनारक्षित सीट बढ़ाने के पक्ष में फैसला, केंद्र लोकसभा में बिल लाकर पलटेगी निर्णय

नई दिल्ली : इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए व सुप्रीम कोर्ट के चक्कर से बचने के लिए सरकार जल्द ही विंटर सेअशन में नया बिल ला सकती है। दरअसल विश्विद्यालयो में होनी वाली भर्ती को लेकर वाराणसी के एक छात्र विवेकानद तिवारी ने इलाहबाद हाई कोर्ट में यूनिवर्सिटी लेवल पर होने वाली भर्ती में आरक्षण का तरीका बदलने को लेकर PIL दाखिल की थी।

जिसका संज्ञान लेते हुए अप्रैल 2017 में हाई कोर्ट द्वारा निर्णय दिया गया था की “यूनिवर्सिटी स्तर पर आरक्षण ना लगाकर डिपार्टमेंट स्तर पर आरक्षण के तहत भर्ती की जाए”, हाई कोर्ट ने साफ़ किया की यूनिवर्सिटी स्तर पर आरक्षण देने से एक विभाग में सभी आरक्षित व दूसरे विभाग में सभी अनारक्षित भर्ती हो जाते है जोकि अपने आप में तर्क विरुद्ध है”।



इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में सभी पार्टिया एक जुट होकर विरोध की पीपनी बजाने लगी । पार्टियों का रोना था की इससे अनारक्षितो को फ़ायदा मिलेगा व आरक्षण में कटौती की भी सम्भावना बन सकती है।

HRD मिनिस्टर जावड़ेकर जी

इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी जिससे उच्चन्यायलय ने भी कन्नी काट ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा टरकाये जाने के बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में Special Leave Petition डालकर एक बार फिर से इलाहबाद कोर्ट पर पुनरविचार की अर्जी डाली थी।



अब खबर यह आ रही है की सरकार “Reservation in appointment of faculty by direct recruitment in teachers’ cadre, in Central Educational Institutions Bill, 2018” को आने वाले आगामी लोकसभा सेशन में पेश कर कोर्ट के फैसले को पलटने वाली है।

UGC द्वारा जुटाए गए आंकड़ों की तर्ज पर बफड़ बफड़ कर HRD मिनिस्ट्री कह रही है कि इससे आरक्षित सीटें कम हो जाएगी जिससे अनारक्षितो की सीटें बढ़ जाएगी जो एससी एसटी के आरक्षण के विरुद्ध है।

सूत्रों के हवाले से मिल रहे ज्ञान के अनुसार सरकार कोर्ट के फैसले को पलटने से घबरा भी रही है क्यूंकि इससे एक बार फिर अगड़ो के गुस्से का सामना सरकार को करना पड़ सकता है जिसके बाद सरकार के लिए लोक सभा चुनावो में खासी दिक्कत पेश हो सकती है।

आपको हम बताते चले की 2014 लोकसभा चुनावो में भाजपा को पड़े कुल वोटो में से अकेले 54 प्रतिशत वोट की चोट सवर्णो ने मारी थी। भाजपा के लिए कोर वोट बैंक की खदान बने सवर्ण अगर भाजपा से थोड़ा सा भी रूठे तो बीजेपी की राह मुश्किल होना लगभग तय है।

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