2007 के बाद BMC के अयोग्य पार्षदों के खिलाफ FIR नहीं दर्ज हुईं- RTI रिपोर्ट

मुम्बई: कंगना रनौत की ऑफिस ढहाने वाली BMC के रिकार्ड सही नहीं है जिससे सवाल उठते हैं।

आज जब अभीनेत्री कंगना रनौत की मुम्बई स्थित ऑफिस को BMC द्वारा अचानक एक दिन के भीतर नोटिस जारी कर गिरा दी गई। ऐसे में बीएमसी के काम के तौर तरीकों पर सवालिया निशान खड़े हुए हैं।

फ़लाना दिखाना की टीम ने बीएमसी पर एक खोजी रिपोर्ट तैयार की है जिससे इसमें चल रही अनियमितताओं का पर्दा उठता है। दरअसल अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने फरवरी 2019 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार एक RTI जवाब में पाया गया था कि बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के 21 पार्षदों को अयोग्य होने के बाद भी कोई मामला नहीं दर्ज किया गया।

BMC

इन पार्षदों को 2007 के बाद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जिनमें से लगभग सभी को फर्जी जाति प्रमाण पत्र जमा करने के लिए अयोग्य घोषित किया गया था लेकिन, जवाब आनेतक उनमें से किसी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था। आरटीआई सवाल का जवाब सामने तब आया था जब शहर स्थित कार्यकर्ता अनिल गलगली ने RTI अधिनियम के तहत एक क्वेरी डाली थी। जिसमें अयोग्य पार्षदों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण था।

BMC के कानूनी विभाग के अधिकारी, S D Fulsunge, ने दिए अपने जवाब में कहा था कि किसी भी पार्षद के खिलाफ उनकी अयोग्यता के बाद से कभी भी कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। निर्वाचन विभाग ने कहा था कि अधिकांश 21 पार्षद फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए अयोग्य ठहराए गए थे, जबकि उनमें से एक को दो-बच्चे के मानदंड के उल्लंघन के लिए अयोग्य ठहराया गया था। वे 2007, 2012 और 2017 के नागरिक चुनावों में चुने गए थे।

एक अलग जवाब में, छोटे मसलों के न्यायालय के डिप्टी लॉ ऑफिसर, अनंत कजरोलकर ने भी कहा थाा कि अभी तक किसी भी अयोग्य पार्षद के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। अयोग्य सदस्यों के खिलाफ बीएमसी की “निष्क्रियता” पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए, गलगली ने सीएम देवेंद्र फड़नवीस और बीएमसी प्रमुख अजॉय मेहता को लिखा था। उस पत्र में पूछा गया था कि ये पूरी तरह से बेतुका और अव्यवसायिक है। जब पार्षद फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए अयोग्य घोषित किए गए थे, तो बीएमसी ने उनके खिलाफ आपराधिक मामले क्यों नहीं शुरू किए?”

एक्टविस्ट ने कहा था कि “अगर बीएमसी इन धोखेबाजों के खिलाफ कार्रवाई करती है, तो यह एक निवारक के रूप में कार्य करेगा। अन्यथा उम्मीदवार हर चुनाव में नकली प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते रहेंगे।


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