हरिद्वार: उत्तराखंड में कुम्भ मेला पुलिस की एक मुहिम सोशल मीडिया पर तारीफ़ें बटोर रही है जिसने भिक्षुकों की दुनिया बदल दी।
दरअसल एक हालिया फेसबुक पोस्ट में कुंभ मेला पुलिस कहती है कि देवभूमि उत्तराखंड की कुंभनगरी ने सदैव से ही समाज के विभिन्न वर्गों को अपनी ओर आकृष्ट किया है। भिखारी हमारे मानवीय संवेदनाओं को कुरेदती है और आर्थिक विषमता के नग्न यथार्थ है। जिसे एक अभियान के तहत मुख्य धारा में जोड़ने का नायाब बीड़ा उठाया आईजी कुम्भ मेला संजय गुंज्याल ने।
इस अभियान के तहत हरिद्वार में भिक्षावृत्ति में लिप्त भिक्षुकों को जेल या भिक्षुक ग्रह भेजने के स्थान पर न सिर्फ पुलिस थानों में रोजगार के अवसर दिए गए बल्कि स्वाभिमान और गर्व के साथ जीने का अवसर दिया गया। सर्वप्रथम सभी भिक्षुकों को भिक्षावृत्ति से हटा कर सुविधाजनक आवास की व्यवस्था कुम्भ पुलिस ने की।
कुंभ पुलिस का कहना है कि शहर के बेस्ट सैलून से एक्सपर्ट द्वारा स्नान, हेयरकट हुलिया ही नहीं उनका मेडिकल टेस्ट और कोविड टेस्ट भी किया गया। इलाज के उपरांत कुछ इक्षुक भिक्षुकों उनके घर पहुंचाया गया। वेरिफिकेशन के उपरांत सभी भिक्षुकों के आधार कार्ड बनवाकर इनके बैंक खाते खुलवाए कर लगभग 10 हज़ार मासिक वेतन 16 भिखारियों को अपने-अपने खातों पर प्राप्त हो चुका है।
इसके अलावा 8 और नए भिक्षुकों को पुलिस थानों के मेस में कार्य दिया जा रहा है, कुल 24 पूर्व भिक्षुक अब पुलिस के साथ कुम्भ मेला व्यवस्था में जुड़ गए है। कुछ भिक्षुकों ने अपनी पहली कमाई का कुछ अंश अपने घर भी भेजा गया है तो कुछ ने कुछ दान तक दिया है ।
पहला वेतन मिलने के बाद आईजी कुम्भ मेला संजय गुंज्याल जिनके द्वारा ये इनिशिएटिव लिया गया उन्होंने द्वारा इन भिक्षुक को कुम्भ खत्म होने के बाद अलग अलग इंडस्ट्रीज और होटल में उनकी योग्यता अनुसार कुम्भ मेला के उपरांत भी काम देने का प्रबंध किया गया।
कल संजय गुंज्याल आईजी कुम्भ द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि इस अभियान ने हमारी मानव संवेदनाओं को जागृत कर पुलिस को सजा दिलाने के स्थान पर सुधार पर जोर दिया है। कार्यक्रम के अंत मे आईजी कुम्भ के द्वारा सभी भिक्षुक कार्मिकों को सैलरी के उपरांत नए वस्त्र, जूते और एक कम्बल देकर सम्मानित किया गया।