प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर, एसडीओ और ड्राइवर के खिलाफ दर्ज एससी/एसटी एक्ट के केस में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने माधव कुमार द्विवेदी व दो अन्य की याचिका पर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने शिकायतकर्ता व सरकार से जवाब भी मांगा है।
दायर याचिका में कहा गया है कि आपराधिक मामला बचाव में कायम किया गया है। शिकायतकर्ता के पति के विरुद्ध दिनांक 21 जनवरी 2020 को थाना भदोही में विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 135 के तहत प्रकरण अपराध दर्ज कर विद्युत चोरी का प्रकरण दर्ज किया गया है। इससे क्षुब्ध होकर बचाव के रूप में वर्तमान आवेदकों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है, जो विद्युत वितरण खण्ड-2 ज्ञानपुर, जिला भदोही के क्रमशः कनिष्ठ अभियंता, अनुमंडल पदाधिकारी एवं चालक हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि यह प्रतिशोध का एक सीधा मामला है जिसमें शिकायतकर्ता ने आवेदकों के खिलाफ निराधार आरोप लगाए हैं और धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत एक आवेदन दायर किया है। हालाँकि, शुरू में उसने रिश्वत की मांग का आरोप लगाया था, लेकिन भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कोई धारा नहीं लगाई गई है और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज करने के लिए कोई राहत नहीं मांगी गई है।
याचिका में कहा गया कि शिकायतकर्ता ने बचाव में ज्ञानपुर थाने में घूस मांगने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई। जबकि केस में विवेचनाधिकारी, एसआई मक्खन लाल ने कोर्ट में रिपोर्ट दी कि याचिकाकर्ता सरकारी ड्यूटी का कार्य कर रहे थे, कोई अपराध नहीं बनता। इस रिपोर्ट की अनदेखी कर अपर सत्र न्यायालय ने सम्मन जारी किया।
आवेदकों का तर्क है कि एससी/एसटी एक्ट के तहत विशेष न्यायाधीश द्वारा 26 मार्च को पारित आदेश से आवेदक व्यथित हैं, जिसमें आवेदकों को तलब किया गया है। जिसे याचिका में चुनौती दी गई है।
शिकायतकर्ता के वकील डीएन जोशी ने तर्क दिया कि केवल घूस मांगने पर ही नहीं, जाति सूचक टिप्पणी करने का आरोप है। इसपर कोर्ट ने विपक्षियों से जवाब मांगा है और तब तक उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
अब याचिका की सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी। तब तक आवेदक के विरुद्ध कोई भी दण्डात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।