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बीएचयू में कोरोना संक्रमितों पर आयुर्वेदिक दवाओं का ट्रायल पूरा, दिखे अच्छे परिणाम

वाराणसी: भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने के बाद से संक्रमण तेज़ी से फ़ैल रहा है। इस बार कोरोना संक्रमण ने संक्रमितों की संख्या और मौत के मामलों में पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए है। इस बीच काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एक राहत देने वाली खबर आयी है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के आयुर्वेद संकाय में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का किया जा रहा ट्रायल पूरा हो गया है। अमर उजाला में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अस्पतालों में भर्ती 160 मरीजों और होम आइसोलेशन में रहने वाले करीब 1200 संक्रमित मरीजों, उनके परिजनों को दी गई दवा से रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रही, वहीं ऑक्सीजन सेचुरेशन भी सही रहा। इस ट्रायल में पहली और दूसरी लहर में संक्रमित 1360 से ज्यादा लोगों को दवा दी गई। जिसमे पाया गया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रही, और ऑक्सीजन सेचुरेशन भी सही रहा। 

यह शोध बीएचयू में रेडक्रॉस सोसायटी, और जिला प्रशासन के सहयोग से पिछले कोरोना काल से चल रहा है। शोध में कोरोना संक्रमित मरीजों और उनके परिवारीजनों को सुंठी चूर्ण सहित अन्य आयुर्वेदिक औषधियां दी गईं थीं। जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। परिणाम के बाद शोध में लगी टीम ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इसे नियमानुसार अन्य मरीजों के लिए शुरू करने की बात कही है।

बीएचयू आयुर्वेद संकाय के वैद्य सुशील कुमार दुबे ने बताया कि यह शोध 2020 से चल रहा था जोकि अब पूरा हो गया है। साथ ही इस शोध की रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित कराने की तैयारी भी चल रही है। बीएचयू में आयुर्वेदिक दवाओं का मरीजों पर शोध पूरा होने के बाद अप्रैल के अंतिम सप्ताह में बीएचयू आयुर्वेद संकाय के पूर्व प्रमुख प्रो व़ाईबी त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुई बैठक में शोध के निष्कर्षों और सफलता पर चर्चा की गई।

साथ ही वैद्य सुशील दुबे की सलाह पर डीएम को भेजे पत्र में प्रो.वाईबी त्रिपाठी ने एलोपैथ की तरह ही आयुर्वेद की दवा से मरीजों का उपचार करने का सुझाव दिया है। ट्रायल में शामिल कोरोना संक्रमित मरीजों में वाराणसी के सिगरा निवासी 88 वर्षीय सुरेंद्र भी शामिल थे। वे पहले से दमा के भी रोगी थे। ऑक्सीजन लेवल 80 से 90 था। एलोपैथिक दवा के साथ ही बीएचयू आयुर्वेद संकाय की टीम द्वारा तैयार आयुर्वेदिक औषधियां भी लेते रहे। संक्रमण कम होने के साथ ही उनका ऑक्सीजन लेवल धीरे-धीरे बढ़कर 96 तक पहुंच गया है।

ट्रायल के दौरान मरीजों को दी गई ये दवाएं:—

  • गोदन्ती–बुखार कम होने में सहायक।
  • शुद्ध तनकन्न–कफ को बाहर निकलता है।
  • शीतो पलादी-सर्दी, खांसी, जुकाम की दवा
  • स्वर्ण वसंत मालती रस-फेफड़े की कमजोरी को दूर करता है।
  • स्वर्ण सूत शेखर रस–आंतों को मजबूत करता है।
  • प्रवाल पंचामृत–फेफड़ों को इससे बल मिलता है।
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Young Journalist covering Rural India, Investigation, Fact Check and Uttar Pradesh.

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