DRDO ने बनाई कोरोना की ‘रामबाण’ दवाई 2DG, वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल मिश्रा ने निभाई अहम भूमिका

बलिया: डीजीसीआई ने डीआरडीओ द्वारा विकसित कोविड की दवा के आपात इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी है।

डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज (डीआरएल), हैदराबाद के सहयोग से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (आईएनएमएएस) द्वारा दवा 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) का एक एंटी-कोविड-19 चिकित्सकीय अनुप्रयोग विकसित किया गया है।

नैदानिक परीक्षण परिणामों से पता चला है कि यह अणु अस्पताल में भर्ती रोगियों की तेजी से रिकवरी में मदद करता है एवं बाहर से ऑक्सीजन देने पर निर्भरता को कम करता है। अधिक मात्रा में कोविड रोगियों के 2-डीजी के साथ इलाज से उनमें आरटी-पीसीआर नकारात्मक रूपांतरण देखा गया। यह दवा कोविड-19 से पीड़ित लोगों के लिए काफी फायदेमंद होगी।

इस दवा को बनाने में डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल मिश्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ अनिल मिश्रा का जन्म बलिया (यूपी), में हुआ था। उन्होंने एम.एससी 1984 में गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर और उनकी पीएचडी (1988) रसायन विज्ञान विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से की। वह 1994- 1997 तक INSERM, नैनटेस, फ्रांस में प्रोफेसर चटल के साथ अनुसंधान वैज्ञानिक थे।

Senior Scientist Anil Mishra (Pic: ISNM)

वह 1997 से वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज, डीआरडीओ, रक्षा मंत्रालय, दिल्ली में शामिल हुए, अब वह 2002-2003 तक मैक्स-प्लैंक इंस्टीट्यूट, जर्मनी में हेड और अतिरिक्त निदेशक INMAS और विजिटिंग प्रोफेसर हैं। उन्होंने 22 पीएचडी छात्रों का मार्गदर्शन किया है, 270 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं।

डॉ मिश्रा को कई पुरस्कार मिले हैं और सबसे प्रतिष्ठित एक है 1999 में भारत के प्रधान मंत्री द्वारा DRDO यंग साइंटिस्ट। उनकी शोध रुचि रेडियोमेकैमिस्ट्री, मेटल केमिस्ट्री, रेडियोफार्मास्युटिकल साइंस आदि में है।  

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