तुम्हारा निर्वीर्य नायब शाहीन बाग के साथ खड़ा हूँ, तुम कह रहे हो हटाओ।”
अपने अमानती-गुंडे को भेजकर बिठाओ तुम और उठाएँ दूसरे?
तुम्हारा निर्वीर्य नायब शाहीन बाग के साथ खड़ा हूँ,तुम कह रहे हो हटाओ?
“अपनी हर ग़ैर-मुनासिब सी जहालत के लिए,
बारहा तू जो ये बातों के सिफ़र तानता है,
छल-फरेबों में ढके सच के मसीहा मेरे,
हमसे बेहतर तो तुझे,तू भी नहीं जानता है”? https://t.co/1f08M2Nr9t— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) January 27, 2020
आगे कुमार नें केजरीवाल के लिए शायरियों की कुछ पंक्तियां लिखी :