भोपाल: देश में अक्सर सरकारी नीतियां व योजनाएँ जाति देखकर बनती रही हैं लेकिन अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (मनरेगा) में भुगतान भी अब जाति को देखकर किया जा रहा है।
हिंदी अखबार दैनिक भास्कर ने हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया है कि मध्यप्रदेश में पिछले डेढ़ माह में मनरेगा के तहत काम करने वाले श्रमिक परिवारों में सिर्फ अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को ही पैसे का भुगतान हुआ, ओबीसी-सामान्य वर्ग को नहीं। इस वर्ग में 22 लाख परिवार हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक मनरेगा में नई व्यवस्था के तहत अब भुगतान तीन श्रेणियों में किया जा रहा है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य वर्ग।
इस अन्य वर्ग में अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग आते हैं। केंद्र सरकार पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) व्यवस्था के तहत मनरेगा के श्रमिकों को सीधे खाते में पैसा डालती है, लेकिन सितंबर से अभी तक अन्य श्रेणी में पैसा जारी नहीं हुआ। जबकि अजा-अजजा का भुगतान किया गया।
जानकारी के अनुसार इस साल अन्य वर्ग को सर्वाधिक 678 करोड़ का भुगतान जुलाई के महीने में हुआ है। अगस्त के महीने से कटौती शुरू हो गई। सितंबर-अक्टूबर में 90 फीसदी से ज्यादा को पैसा नहीं मिला।
इस साल मध्यप्रदेश में मनरेगा के श्रमिकों को कुल 3 हजार 266 करोड़ का भुगतान हुआ है।