छतरपुर: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से 15 अगस्त के दिन का एक मामला सामने आया है। जहां धामची गांव के दलित सरपंच हन्नु बसोर ने सचिव पद पर पदस्थ सुनील तिवारी पर आरोप लगाया कि, 15 अगस्त के दिन सुनील को उनका झंडा फहराना न गवार गुजरा और उसे जाति सूचक शब्द कहते हुए लात मार दी। सरपंच ने आरोप लगाया कि सचिव ने उनकी पत्नी और बहू के साथ भी मारपीट की।
थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए दलित सरपंच के साथ भारी संख्या में लोग थाना ओरछा रोड पहुंचे और सचिव सुनील तिवारी के खिलाफ एससी एसटी एक्ट में मामला दर्ज करने की मांग करने लगे। थाने में दबाव बनाने के लिए दलित सरपंच के साथ कई दलित नेता भी थाने पहुंचे थे। जिसके बाद सचिव सुनील तिवारी पर एफआईआर दर्ज कर ली गई।
मामले की पड़ताल करने के लिए हमारी टीम छतरपुर जिले के धामची गांव पहुंची। जहां की ये घटना बताई जा रही है। मामले की पड़ताल करने के लिए हमने पंचायत सचिव और चश्मदीदों से बात की। घटना जिस विद्यालय की बताई जा रही है हमने उस विद्यालय के अध्यापक से भी बात की। प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक हलकई कुशवाहा जोकि राज्य में स्वयं पिछड़ी जाति से आते हैं। उन्होंने हमसे बताया की झंडारोहण के वक्त वे विद्यालय में ही मौजूद थे। हलकई कुशवाहा ने बताया कि, “15 अगस्त की सुबह गांव के सरपंच अपने चार बेटे, 4 पोते और कुछ समर्थकों के साथ विद्यालय पहुंचे थे। विद्यालय में शांतिपूर्वक तरीके से झंडारोहण किया गया। जिसके कुछ मिनट बाद विद्यालय प्रांगण में सचिव भी आ गए। सचिव ने पहुंचकर बाइक की डिग्गी से मिठाई का डिब्बा निकाला और वहां मौजूद लोगों में बांटने लगे। वहां कोई कहासुनी व मारपीट की घटना नहीं हुई थी। सरपंच के बेटे सचिव से रोजगार गारंटी योजना के पैसों के बारे में बात कर रहे थे। कुछ समय पश्चात सचिव अपनी बाइक से चले गए।”
हमने झंडारोहण के समय मौजूद एक अन्य चश्मदीद भरत यादव से बात की। उन्होंने बताया कि “सरपंच ने सचिव पर जो आरोप लगाए हैं वे सभी झूठे हैं। सचिव ने विद्यालय पहुंचकर अपने हाथों से सबको मिठाई बांटी थी। विद्यालय के अध्यापक समेत वहां गांव के कई अन्य लोग भी मौजूद थे। मिठाई बांटने के बाद सरपंच के बेटे और पोते सचिव से गांव में हो रहे गौशाला निर्माण को लेकर पैसों के लेन देन की बात करने लग गए थे। जिसमें मजदूरों की मजदूरी के पैसों को लेकर बातचीत हो रही थी। सरपंच के घर के कई लोग मौजूद थे जबकि सचिव अकेले थे। बातचीत के बाद सचिव वहां से चले गए। वहां झंडारोहण को लेकर कोई मारपीट या कहासुनी की घटना नहीं हुई थी।”
वही जब हमने मामले को लेकर सचिव सुनील तिवारी से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके ऊपर झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी गई है। वे मुचलके पर जमानत लेकर आए हैं। उन पर लगे आरोपों की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि उन्हें बुखार था, झंडारोहण कार्यक्रम में मिठाई बांटने के बाद वे सीधे दवा लेने सीधे अस्पताल चले गए। जहां से उन्हें थाने बुला लिया गया और उन्हें दिन भर बिठाए रखा। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में मिठाई बांटने के बाद सरपंच के पोते ने उनसे गौशाला निर्माण में रोजगार गारंटी योजना के तहत आए पैसों के बारे में बात की। जिस पर उन्होंने सरपंच को समझाया कि अभी पैसे नहीं आए, समय से आएंगे। सरपंच के पोते ने सचिव की बाइक रखवा लेने की बात कही। सचिव ने बाइक रखने से मना किया और वे वहां से सीधे अस्पताल चले गए। जहां उनको पता चला कि गांव के सरपंच दलित नेताओं के सहयोग से उन पर झूठा एफआईआर दर्ज करवाने की कोशिश करवा रहे हैं।
वही थाना ओरछा रोड में सरपंच के आवेदन पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस अधिकारी अभी आरोपों की जांच कर रहे हैं। पूरी जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि मामले में वास्तविकता क्या है।
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Young Journalist covering Rural India, Investigation, Fact Check and Uttar Pradesh.