गाजीपुर: दिल्ली में कई सीमाओं पर 60 दिनों से ज्यादा चल रहा किसान आंदोलन 26 जनवरी की हिंसा के बाद अंतिम साँसें गिन रहा है।
उधर 2 किसान संगठन हिंसा के बाद पहले ही आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर चुके हैं। आज उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी कानून एवं व्यवस्था प्रशांत कुमार ने चल रहे किसान आंदोलन के बारे में कहा कि 26 जनवरी की घटना के विरोध में, कुछ किसानों ने स्वेच्छा से चिल्ला बॉर्डर और दलित प्रेरणा स्थल से अपना विरोध समाप्त कर दिया। जहां तक बागपत का संबंध है, स्थानीय अधिकारियों ने हमें बताया कि उन्होंने किसानों को चल रहे एनएचएआई परियोजना के बारे में समझाया और उन्होंने कल रात विरोध प्रदर्शन समाप्त किया।
एडीजी (कानून और व्यवस्था) ने ये भी कहा कि अगर दिल्ली पुलिस हिंसा के संबंध में हमारी मदद मांगती है तो हम उनकी मदद करेंगे। हम ऐसे किसी भी तत्व की अनुमति नहीं देंगे – जिसने हमारे राज्य में ऐसा किया हो। लोगों ने हमें आश्वासन दिया है कि वे किसी भी उपद्रवी तत्व को आश्रय नहीं देंगे।
ADG ने अंत में कहा कि लोग अभी भी यूपी गेट पर मौजूद हैं। वार्ता चल रही है, हमने उपद्रवी और राष्ट्र-विरोधी तत्वों की तलाश के लिए स्पॉटर्स तैनात किए हैं ताकि वे यूपी में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ न करें। हम किसान संगठन से बात करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि विरोध प्रदर्शनों को जल्द से जल्द समाप्त कराया जाए।
फूट फूटकर रोए राकेश टिकैत:
उधर आज किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया से बातचीत में उन्होंने रोते हुए कहा कि अगर तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते हैं तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। मुझे कुछ भी हुआ तो प्रशासन जिम्मेदार होगा। उन्होंने कहा कि मैं किसानों को बर्बाद नहीं होने दूंगा। किसानों का मारने की साजिश रची जा रही है, यहां अत्याचार हो रहा है।
गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत ने कहा कि वह गिरफ्तारी देना चाहते थे, लेकिन बीजेपी के विधायकों ने हमारे लोगों के साथ मारपीट की है। हमारे लोगों को रास्ते में पीटने की प्लानिंग है। राकेश टिकैत ने कहा कि अब हम यहां से नहीं जाएंगे, यहीं बैठेंगे।