पुत्र ने राम मंदिर को कम दान किया तो 95 वर्षीय विमला ने राशि बदल कर और ज्यादा दिलाया, कार्यकर्ता हुए भावुक

साम्बा: अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश में पूरे देश में राम मंदिर निधि समर्पण अभियान चलाया जा रहा हैम जिसका नेतृत्व विश्व हिंदू परिषद् आर एस एस एवं भाजपा के लोग कर रहे हैं।

इस अभियान के तहत हर वर्ग के लोग लोग अपनी अपनी क्षमता अनुसार समर्पण निधि दान कर रहे हैं। वहीं जम्मू कश्मीर से भी इसी अभियान से जुड़ा मनोहारी दृश्य आया है।

दरअसल जम्मू कश्मीर के साम्बा जिले में साम्बा नगर के कैहली मण्डी की 95 वर्षीय महिला विमला वर्षों से अपने राम के घर को देखने के लिए तरस रही थी, और 3 महीने से अपने राम के घर को बनाने के लिए निधि समर्पण लेने वालों की राह देख रही थीं। लेकिन पिछले दिनों जब निधि संग्रहकर्ता माँ से मिले तो मानो सबरी माँ की याद आ गई। 

हुआ कुछ यूं कि विमला के पुत्र ने कुछ और कहा समर्पण राशि और उन्होंने उसे बदल दिया अपने आय से भी ज्यादा समर्पण कर दी वृद्ध माता जी ने। जब संग्रहकर्ता उनके घर पहुंचे तो माता जी बेहद प्रसन्न हो गईं। उनकी पुत्रवधू ने जब पूछा कि राम मंदिर बन रहा है अब खुश हैं न ? अब अयोध्या जाने को मिलेगा। तो जवाब में माता जी ने कहा हां मैं बहुत खुश हूँ, भगवान का मंदिर बन रहा है। 

विदिशा में बेर बेंचकर किया दान:

उधर राम मंदिर के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे कार्यकर्ता जब मध्यप्रदेश के विदिशा के सुदर्शन बस्ती जतरापुरा में पहुंचे तो मेले में बैर बेचकर ₹50 रोज कमाई करने वाली मुन्नी बाई कुशवाह ने 2 दिन बेर बेच कर संभाल कर रखें ₹100 के चिल्लर कार्यकर्ताओं के हाथों में हम आते हुए कहा कि चाहे जितना भी समय लग जाए पर भगवान आते जरूर हैं।

कार्यकर्ताओं की नम हो गईं आंखे:

मुन्नी बाई के इन शब्दों को सुनकर निधि संग्रह के लिए निकले कार्यकर्ताओं की आंखें भर आई। कार्यकर्ताओं ने विदिशा की शबरी मुन्नी बाई के साथ शबरी और राम प्रसंग पर चर्चा की। कार्यकर्ताओं ने कहा कि निधि संग्रह के समय जहां एक तरफ बड़े बड़े घरों के लोग बहाने बना देते हैं। वही बेर बेचने वाली मुन्नी बाई ने खुशी खुशी 10, 20 के नोट के साथ खुले पैसे देकर ₹100 पूरे कर रसीद कटवाई।

कबाड़ का काम करने वाले बुजुर्ग ने किया 100 रुपए का समर्पण:

उत्तर प्रदेश के बरेली में कबाड़ का काम करने वाले एक बुजुर्ग ने श्री राम मंदिर निधि समर्पण अभियान में लगी बहनों को दिनभर कबाड़ बेचकर कमाए हुए पैसों में से 100 रुपए का समर्पण किया। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने कहा “यह ₹100 का समर्पण करोड़ों से बढ़कर है। तभी तो कहा है…जन जन के राम सबके राम।”

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