वसई: अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश में श्री राम मंदिर निधि समर्पण अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें हर वर्ग के लोग भाग ले रहे हैं और अपनी क्षमता अनुसार निधि भी समर्पित कर रहे हैं। वहीं इसी अभियान से जुड़ी कुछ प्रेरक तस्वीरें भी आ रही हैं।
ऐसी ही एक तस्वीर महाराष्ट्र के बसई में देखने मिली जहां मिट्टी के बर्तन बेचकर गरीब परिवार ने राम मंदिर के लिए निधि समर्पित कर दी। दरअसल बसई के नालासोपारा शहर के लशावीर बस्ती में मिट्टी के बने मटके बेंच कर गरीब परिवार अपना जीवन यापन करता था जब उनसे धन संग्रह टोली ने अपनी स्वेच्छा से श्री रामलला के मंदिर निर्माण हेतु राशि समर्पण करने हेतु निवेदन किया जिस पर उन्होंने तत्काल 5, 10 रुपए के सिक्के से ₹100 का समर्पण कर दिया।
बताया गया कि 100 रुपए जो दान में दिया गया उतना ही परिवार के पूरे दिन की आय थी। लेकिन परिवार ने श्री रामलला के मंदिर के लिए रसीदे कटवाई तो संग्रहकर्ताओं ने उस राम भक्त गरीब परिवार को दिल से प्रणाम किया।
दान देने के 2 घन्टे बाद वृद्धा ने त्याग दिए प्राण:
वहीं मध्य प्रदेश के विदिशा से इसी अभियान के दौरान अद्भुत संयोग वाला मामला सामने आया है। दरअसल विदिशा जिले के मंडीबामोरा क्षेत्र के अंतर्गत दतेरा गांव निवासी राकेश आचार्य की माता शांति देवी आचार्य दान देने के कुछ घण्टों बाद ही स्वर्गवासी हो गईं।
85 वर्षीय शांति देवी ने मंदिर के लिए अपनी वृद्धावस्था पेंशन में से 2100 रुपए दान करने के कुछ ही घंटे बाद प्राण त्याग दिए। सिहोरा में निर्माण निधि समर्पण अभियान के प्रमुख मृगेंद्र सिंह ने बताया कि सुबह 9:00 बजे राकेश शर्मा ने राकेश सूर्यवंशी जी से कहा कि माताजी को मंदिर के लिए दान देना है तो राकेश सूर्यवंशी ने कहा कि अभियान टोली आपके घर आएगी।
Vidisha, MP (PC: Samachar City)
इसके बाद टोली का एकत्रीकरण किरावली गांव जाने के लिए सेंट्रल बैंक के सामने हो रहा था तभी राकेश आचार्य ने टोली से आग्रह किया कि माताजी दान देना चाहती हैं, आप सब लोग अभी घर चलें।
टोली जब घर गई तो माताजी ने शांत भाव से टोली की ओर देखा टोली ने कूपन एवं फोल्डर माता जी को सौंपा, माताजी ने प्रसन्न चित्त मुद्रा में दान राशि निधि प्रमुख को दी। टोली के वापस जाने के 2 घंटे बाद माताजी ने अंतिम सांस ली।
वहीं प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि माता जी भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए दान देने के लिए ही अपनी सांसें रोक रखी थीं।