चंडीगढ़: पंजाब के उच्च शिक्षा एवं भाषा मंत्री परगट सिंह ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में पंजाबी भाषा से संबंधित दो विधेयक ‘पंजाबी और अन्य भाषा शिक्षा (संशोधन) विधेयक, 2021’ और ‘पंजाब राज्य भाषा (संशोधन) विधेयक-2021’ पेश किए। जिन्हें बाद में सदन द्वारा पारित किया गया।
सरकार द्वारा जारी बयान के मुताबिक पंजाबी और अन्य भाषा शिक्षा (संशोधन) विधेयक, 2021 राज्य भर के स्कूलों में पहली से दसवीं कक्षा तक के सभी छात्रों के लिए पंजाबी को अनिवार्य विषय बनाने के लिए पारित किया गया है।
इस कदम से जुर्माने को क्रमश: 25,000 रुपये, 50,000 रुपये और 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये, 1 लाख रुपये और 2 लाख रुपये कर दिया जाएगा। कोई भी स्कूल जो पहली बार एक महीने से अधिक की अवधि के लिए अधिनियम या इसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, 50,000 रुपये के जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा।
बशर्ते कि यदि ऐसा व्यक्ति एक महीने से अधिक समय तक दूसरी बार स्कूल अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो वह एक लाख रुपये के जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा। बशर्ते कि यदि ऐसा व्यक्ति तीसरी बार स्कूल अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन एक महीने से अधिक की अवधि के लिए करता है, तो वह दो लाख रुपये के जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा।
दूसरा विधेयक पंजाब राज्य भाषा (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया गया जिसमें पंजाबी भाषा में सरकारी कामकाज नहीं करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ सजा के अलावा जुर्माना लगाने का प्रावधान है।500/- रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
दूसरी बार अपराध करने पर 2,000 रुपये और तीसरे अपराध पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना। ऐसा दंड संबंधित वितरण एवं व्यय अधिकारी द्वारा अधिकारी/कर्मचारी के वेतन पर लगाया जायेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाबी मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि 10वीं तक राज्य के सभी स्कूलों में पंजाबी विषय अनिवार्य होगा, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पंजाबी भाषा राज्य के सभी बोर्डों के ऊपर लिखा जाएगा।।
इस अवसर पर बोलते हुए उच्च शिक्षा और भाषा मंत्री परगट सिंह ने कहा कि पंजाबी हमारी मातृभाषा है और हम इसे बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पंजाब के 23 में से 21 जिलों में जिला भाषा अधिकारी के पद रिक्त हैं, जिन्हें आने वाले दिनों में भरा जाएगा।
इसी तरह, राज्य भाषा अधिनियम को लागू करने के लिए एक राज्य स्तरीय बोर्ड या समिति का गठन किया जाएगा। इसी तरह, पंजाबी भाषा अधिनियम को सख्ती से लागू करने के लिए जिला स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी।