गोकर्ण: भारत की भावी पीढ़ी को पुनर्जीवित करने के लिए, प्राचीन भारतीय ज्ञान के पुनरुद्धार के लिए, भारत के अस्तित्व के लिए, श्री रामचंद्रपुरा मठ ने एक अद्वितीय संस्थान सर्वभौम गुरुकुलम की शुरुआत की हैं।
इस सर्वभौम गुरूकुलम की संरचना को भारतीय संस्कृति और शास्त्रों में सबसे पवित्र माने जाने वाले स्वास्तिक चिन्ह के रूप में की गई हैं। किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले हिन्दू धर्म में स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसकी पूजा करने का महत्व है।
सर्वभौम गुरूकुलम
सर्वभौम गुरुकुलम कर्नाटक के गोकर्ण में स्थित है जो दुनिया का एकमात्र पवित्र स्थान है जहाँ पर आत्म-लिंग का निवास है; माता श्री अंजनेया के जन्म स्थान के बहुत करीब स्थित है।
यह विद्या का मंदिर जो विष्णुगुप्त विश्वविद्यापीठम उच्च शिक्षा के लिए एक शिक्षा केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह भारतीय लोक सभ्यता पर जोर देने के साथ- साथ छात्रों के लिए प्राथमिक, माध्यमिक और पूर्व विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
गुरूकुलम के पाठ्यक्रम
सार्वभौम गुरूकुलम में भारतीय संस्कृति, धर्म और प्राचीन भारतीय ज्ञान और आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति का ज्ञान प्रदान करने वाला महान शिक्षण संस्थान हैं।
नवयुग में प्रस्तुत विषय- हिन्दी, कन्नड़, अंग्रेज़ी संविधान, सामान्य ज्ञान। कौशल कलाएँ- घोड़े की सवारी, तैराकी, संचार कौशल, नेतृत्व कौशल आदि। कला में – स्वर संगीत, वाद्य संगीत, नृत्य, यक्षगान, चित्रकारी और गृह विज्ञान में- खाना बनाना, गृह प्रबंधन, वृक्षायुर्वेद (वनस्पति जीवन का विज्ञान बागवानी और कषि) आदि।
पारंपरिक विषय अध्ययन- कृता युग, त्रेता युग, द्वापर युग, कलियुग, रामायण, महाभारत, पुराण, इतिहास, काल के समय पर आधारित ज्ञान- वेद पाठ, वैदिक ज्ञान और दृष्टि की सभी प्रणालियों में अभिविन्यास, संस्कृत, भगवद गीता, योग, पारंपरिक भारतीय व्यायाम स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद ज्ञान, सदाचारः सही आचरण (धर्मशास्त्र सरल) आदि।
सर्वभौम गुरूकुलम एकमात्र ऐसी संस्था है जो सभी को एक केंद्र प्रदान करती है। इसलिए, हमारी भूमि को ऐसे अनोखे गुरुकुलम की जरूरत है, भले ही असंख्य स्कूल हैं। इस पृष्ठभूमि में, लेकिन श्री रामचंद्रपुरा मठ द्वारा सर्वभौम गुरुकुलम की शुरुआत की गई है।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.