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यूपी- दलितों ने काली मंदिर परिसर में लगा दी अंबेडकर की मूर्ति, ग्रामीणों में आक्रोश, एसडीएम ने समझाइश देकर हटवाई

संतकबीरनगर- हैरान कर देने वाला मामला उत्तरप्रदेश के संतकबीरनगर जिले से सामने आया है, जहां एक प्राचीन काली मंदिर परिसर में दलितों ने भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित कर दी, जिसकी जानकारी लगते ही ग्रामीण आक्रोशित हो गए। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए समझाया और लोगों को हिदायत देकर मूर्ति को उक्त काली मंदिर परिसर से हटवा दिया है।

प्रशासन की अनुमति के बिना लगा दी मूर्ति

बता दे कि पूरा मामला खलीलाबाद कोतवाली क्षेत्र के मगहर चौकी के अन्तर्गत आने वाले रसूलाबाद गाँव का बताया जा रहा है। जहां गाँव में स्थित प्राचीन काली मंदिर परिसर में दलित समुदाय के कुछ लोगों ने बिना अनुमति भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगा दी, जिसके बाद माहौल गरमा गया और विरोध कर रहें लोगों ने जिला प्रशासन को शिकायत देकर मामले में निस्तारण की मांग की है।

हमें लगी जानकारी के अनुसार गाँव में दलित बस्ती के करीब ग्राम पंचायत की जमीन पर प्राचीन काली मंदिर बना हुआ है, उसी मंदिर परिसर में जानबूझकर भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित कर दी गई। इस पूरे मामले की जानकारी लगते ही गुरूवार को सदर एसडीएम शैलेष दुबे के नेतृत्व में तहसीलदार जनार्दन मौर्या, नायब तहसीलदार राजेश मिश्रा राजस्व टीम व कोतवाली निरीक्षक के साथ मौके पर पहुंच गए और घटना स्थल का निरीक्षण कर वापस मगहर चौकी पहुंचे, जहां ग्राम प्रधान प्रतिनिधि अनिल यादव के अलावा दलित बस्ती के लोगों सहित सभी ग्रामीणों को भी बुलाया गया।

एसडीएम शैलेष दुबे ने बैठक में गाँव के जिम्मेदार लोगों से पूरे मामले की जानकारी ली और मामले में निस्तारण हेतु लोगों को समझाइश दी और प्रशासन की अनुमति के बिना लगाई गई मूर्ति को तत्काल रूप से हटाने के लिए कहा। एसडीएम शैलेष दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी हालत में बिना प्रशासन की अनुमति के किसी भी सार्वजनिक जगह पर मूर्ति नहीं लगाई जाएगी और अगर लगाई गई है, तो उसे तुरंत हटा ले।

अलग से जमीन देने की चल रहीं थी बात

रसूलाबाद ग्राम प्रधान माया यादव के पति पूर्व प्रधान अनिल यादव ने बताया कि उनके गाँव में दलित बस्ती के निकट ग्राम पंचायत की जगह पर एक पुराना काली मंदिर स्थित है। वहीं दलित बस्ती के लोगों द्वारा भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर जगह की मांग की गई थी, जिसके बाद उन्हें काली मंदिर से हटकर अलग जमीन देने की बात भी चल रहीं थी। लेकिन काली मंदिर परिसर में ही जानबूझकर भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगा दी गई और विवाद उत्पन्न कर दिया गया।

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Kapil reports for Neo Politico Hindi.

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