जयपुर: राजस्थान की एक संस्कृत यूनिवर्सिटी में कार्य करने वाले ड्राइवर ने VC द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न पर राज्यपाल को एक पत्र लिखा है।
घटना राजस्थान के जगदगुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर की है, जहां वाहन चालक विमलेश कुमार चौबे का आरोप है कि कुलपति महोदया अंजुला मोर्या द्वारा उन पर नौकरी से हटाने का दबाव बनाकर घर पर जबरजस्ती मांसाहारी खाने के झूठे बर्तन और शौचालय आदि साफ करवाए जा रहे हैं।
पीड़ित ने राज्यपाल महोदय को लिखा पत्र
जगदगुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर की कुलपति महोदया अंजुला मोर्या द्वारा जबरदस्ती करवाए जा रहे घर के आपत्तिजनक कामों से आहत होकर पीड़ित ड्राइवर विमलेश ने राज्य के राज्यपाल महोदय को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई हैं।
विमलेश का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर उसकी नियुक्ति जगदगुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर में 14 जनवरी 22 को वाहन चालक के पद पर की गई थी, लेकिन नियुक्ति के बाद से ही वह विश्वविद्यालय की कुलपति महोदया अंजुला मोर्या के वाहन चालक के रूप में कार्य कर रहा हैं। जिनके द्वारा मुझसे अपने आवास पर घरेलू काम जैसे- मांसाहारी खाने के झूठे बर्तन साफ करना, शौचालय साफ करना और घर की साफ सफाई आदि काम जबरन करवाए जा रहे हैं।
पीड़ित विमलेश ने हमें बताया कि बीते दिनों कुलपति महोदया ने प्रताप नगर, जयपुर स्थित अपने आवास पर मुझसे जबरन मांसाहारी खाने के झूठे बर्तन साफ करने को कहा गया तो मैने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया कि मैं एक शुद्ध शाकाहारी ब्राह्मण हूँ। अत: मैं यह कार्य नहीं कर सकता।
इतना सुनते ही कुलपति महोदया अंजुला मोर्या आग बबूला हो गई और बोली कि तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे मना करने की। जो काम बोला है वह चुपचाप कर, नहीं तो तेरी नौकरी खा जाऊंगी।
इतना ही नहीं मैं यह बात किसी को न बताऊ इसके लिए कुलपति महोदया अंजुला मोर्या द्वारा मुझे बीते महीनों में 8 हजार रुपये के तीन अलग-अलग चेक भी दिये गए हैं।
एक नौकरी ही परिवार का सहारा
पीड़ित का कहना है कि एक शुद्ध शाकाहारी पौराहित्य कर्म कराने वाले ब्राह्मण के लिए मांसाहारी खाने के झूठे बर्तन साफ न करना इतना बड़ा अपराध है कि उसे अपनी नौकरी से ही हाथ धोना पड़े, जबकि यह एक नौकरी मात्र ही मेरे और मेरे परिवार के जीवन निर्वाह का एकमात्र सहारा हैं।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.