SC-ST एक्ट लगाने से पहले यह जानना आवश्यक कि आरोपी को पीड़ित की जाति ज्ञात थी- केरल कोर्ट

कोझिकोड सत्र न्यायाधीश एस क कुमार ने एससी एसटी एक्ट को लेकर बड़ा बयान दिया है, एक केस की सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि एससी एसटी एक्ट लगाने से पहले यह जान लेना भी आवश्यक है कि आरोपी को पहले से ज्ञात था कि पीड़ित एससी एसटी समुदाय से हैं।

जानिए क्या था मामला?

दरअसल कोझिकोड सत्र न्यायाधीश एस कृष्ण कुमार एक यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई कर रहे थे, जहां एक दलित लेखिका द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी कि बीते दिनों 17 जुलाई को सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन ने महिला की गर्दन को चूमने का प्रयास किया था।

जहां इस केस की सुनवाई के दौरान सत्र न्यायाधीश एस कृष्ण कुमार ने सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को यह कहते हुए अग्रिम जमानत दे दी कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत यह अपराध प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ साबित नहीं होता हैं।

न्यायाधीश ने कहा यह विश्वास करने लायक नहीं हैं कि कथित आरोपी द्वारा यह जानते हुए अपराध किया गया है कि पीड़िता एससी एसटी समुदाय से है, कोर्ट ने आगे कहा कि एससी एसटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज करने से पहले यह जानना बेहद ही आवश्यक है कि आरोपी द्वारा अपराध पीड़ित की जान पहचान होने पर किया गया हैं।

आरोपी की छवि खराब करने का प्रयास

कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध सबूतो के आधार पर यह साबित होता है कि इन आरोपों के तहत कठित आरोपी बनाये गए सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है, प्रथम सूचना बयान में यह कहीं भी नहीं कहा गया था कि आरोपी द्वारा यह जानते हुए कथित अपराध किया गया हैं।

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Kapil reports for Neo Politico Hindi.

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