नई दिल्ली- बता दे कि बिहार में एससी, एसटी, और ओबीसी के आरक्षण को बढ़ाकर 65 फीसदी करने के सरकार के फैसले को हाईकोर्ट द्वारा खारिज करने के बाद कांग्रेस ने भी आरक्षण के दायरे को बढ़ाकर 50 फीसदी से अधिक करने की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि आरक्षण की सीमा को बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन कर संसद को नया कानून बनाना चाहिए।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स (ट्विटर) पर ट्वीट करते हुए कहा कि पूरे चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस द्वारा मांग की जा रहीं थी कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण से संबंधित राज्य के सभी कानूनों को संविधान की नौवीं सूची में शामिल किया जाना चाहिए। जैसा कि 1994 में तमिलनाडु कानून के लिए किया गया था।
उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा यह अच्छी बात है कि बीते दिनों जेडीयू ने भी आरक्षण बढ़ाने और नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग रखी है, लेकिन राज्य और केन्द्र दोनों जगह उसकी सहयोगी बीजेपी इस मामले पर चुप्पी क्यों साधे है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने आगे कहा कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को बढ़ाने वाले आरक्षण के कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में लाना कोई समाधान नहीं है, क्योंकि 2007 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक़ ऐसे कानूनों की भी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है। ऐसे में एकमात्र रास्ता यह है कि संसद संविधान में संशोधन कर एक विधेयक पारित करे। जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व सभी पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण को 50 फीसदी से अधिक करने में सक्षम बनाएं।
बता दे कि लोकसभा चुनाव के पहले से ही कांग्रेस पार्टी आरक्षण को बढ़ाने के पक्ष में थी और अपने चुनावी वादों में भी पार्टी ने जातिगत जनगणना कराने और आरक्षण को बढ़ाने की घोषणा की थी। हालांकि इस तरह की सवर्ण विरोधी घोषणाओं के बाद सामान्य वर्ग में भी काफी रोष व्याप्त था, जिसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस एक बार फिर अपनी सरकार बनाने में नाकाम रही।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.