पटना- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की “जीभ काटकर लाने” वाले बयान के बाद मुश्किलों में फंसे पूर्व भाजपा और ब्राह्मण नेता गजेंद्र झा को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज एससी एसटी एक्ट की प्राथमिकी को निरस्त कर दिया हैं। आपको बता दे कि पू्र्व भाजपा नेता गजेंद्र झा के खिलाफ दिसंबर 2021 में आईपीसी की धारा 500, 501, 504, 506 और एससी एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
जहां पटना हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायधीश डाॅ. अंशुमन की एकलपीठ के समक्ष ब्राह्मण नेता गजेंद्र झा के अधिवक्ता प्रिंस कुमार मिश्रा ने बताया कि प्राथमिकी सीआरपीसी की धारा 193 के तहत निर्धारित कानून में खारिज कर देने योग्य है, क्योंकि प्राथमिकी के शिकायतकर्ता स्वयं पीड़ित नहीं हैं। बल्कि उन्होंने अपने दल के अध्यक्ष की ओर से यह आवेदन दायर किया था, जिसके बाद कोर्ट ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पूर्व भाजपा नेता गजेंद्र झा के खिलाफ दायर प्राथमिकी को निरस्त कर दिया हैं।
जानिए क्या था पूरा मामला?
आपको बता दे कि पूरा मामला दिसंबर वर्ष 2021 का है, जहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने ब्राह्मणों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए विवादित बयान दिया था। जिसके बाद उनके इस बयान पर भाजपा के तत्कालिक प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य गजेंद्र झा ने भी पलटवार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की जुबान काटकर लाने वाले को 11 लाख रुपये देने की घोषणा की थी, जिसके बाद ही उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
भाजपा नेता से पहले ब्राह्मण हूं
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी पर आपत्तिजनक बयान देने वाले ब्राह्मण नेता गजेंद्र झा को जवाब तलव करते हुए भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद पार्टी से निष्कासित होने पर गजेंद्र झा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं भाजपा नेता से पहले ब्राह्मण हूँ और समाज की रक्षा करना मेरा परम् कर्तव्य है। मैं जमीर बेचकर और जनेऊ तोड़कर राजनीति नहीं करता, जिस दिन ऐसा करना होगा उस दिन मैं राजनीति छोड़ दूंगा। मैं भाजपा का सिपाही हूं, पार्टी के आदेश को सिर आंखों पर रखकर स्वतः ही पार्टी से निकल जाऊंगा।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.