जैसा कि मौजूद समय में भारत क्रिसमस के त्योहारी सीजन का जश्न मनाने की तैयारी कर रहा है, इसी बीच यह देश भर में विकसित हो रही जनसांख्यिकी को प्रतिबिंबित करने का क्षण है। प्यू रिसर्च सेंटर की हालिया रिपोर्ट विशेष रूप से विशिष्ट राज्यों में ईसाई आबादी में हुई उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डालती हैं, जिससे भारत के धार्मिक परिदृश्य में दिलचस्प बदलाव सामने आते हैं।
बता दे कि नागालैंड, मिजोरम और मेघालय ऐसे राज्य हैं जहां ईसाइयों की आबादी 75 प्रतिशत से अधिक है। ये राज्य ईसाई धर्म के पर्याप्त प्रतिनिधत्व को प्रदर्शित करते हैं। इसके अतिरिक्त भारत के केरल राज्य में ईसाइयों की सबसे बड़ी आबादी निवास करती है, जो देश की लगभग 22 प्रतिशत ईसाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
रिपोर्ट के अनुसार 2001 से 2011 के बीच की अवधि में विभिन्न राज्यों में ईसाई आबादी में उल्लेखनीय परिवर्तन देखा गया हैं। अरुणाचल प्रदेश में 12 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जो कुल 30 फीसदी तक पहुंच गई. जबकि मणिपुर और मेघालय में क्रमशः 7 और 4 फीसदी की वृद्धि देखी गई हैं। यहां तक कि सिक्किम में भी ईसाई जनसंख्या में 3 फीसदी की वृद्धि देखी गई हैं, जो इन क्षेत्रों में बढ़ती हुई ईसाई जनसंख्या को दर्शाता है।
हिंदू जनसंख्या में आई गिरावट
इसके विपरीत कुछ राज्यों में, विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्रों में हिंदू आबादी में काफी गिरावट देखी गई हैं। अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, असम और सिक्किम जैसे राज्यों में हिंदू आबादी में 3 फीसदी या उससे अधिक की कमी देखी गई। यह जनसांख्यिकीय बदलाव इन राज्यों के भीतर धार्मिक गतिशीलता को बदलने का संकेत देता है।
पूर्वोत्तर क्षेत्रों से परे, पश्चिम बंगाल में भी हिंदू जनसंख्या में 2 फीसदी की कमी आई है, जबकि इसके विपरीत मुस्लिम आबादी में समान अंतर से ही वृद्धि हुई। उत्तराखंड में भी ऐसा ही पैटर्न सामने आया, जहां हिंदू आबादी में 2 फीसदी की कमी और मुस्लिम आबादी में 2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई हैं।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.