मध्यप्रदेश में पिछले तीन सालों से अटके पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मामले में पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है, जिसमे अब ओबीसी को चुनाव में 35 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई हैं।
प्रदेश में 48 फीसदी ओबीसी मतदाता
गुरूवार को सरकार द्वारा रिपोर्ट न सौंपे जाने पर कोर्ट ने संकेत दिए थे कि बिना ओबीसी आरक्षण के भी पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव हो सकते है, कोर्ट ने गुरूवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट सौंपने को कहा था।
जहां सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह और पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने बताया कि प्रदेश में 48 फीसदी मतदाता ओबीसी वर्ग के हैं, इसी आधार पर ओबीसी को चुनाव में 35 फीसदी आरक्षण देने की बात कही गई हैं।
वही सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट नियम की बात करे तो आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं दिया जा सकता हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो ओबीसी को 15 फीसदी आरक्षण ही दिया जा सकता है क्योंकि वर्तमान में एससी को 15 फीसदी और एसटी को 20 फीसदी आरक्षण दिया गया हैं।
10 मई को आ सकता हैं फैसला
आज शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट को कोर्ट के सामने रखा गया जिसमें ओबीसी को चुनाव में 35 फीसदी आरक्षण की शिफारिश की गई हैं। जिसमें सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया हैं और कोर्ट 10 मई को अपना फैसला सुना सकता हैं।
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Kapil reports for Neo Politico Hindi.