चंडीगढ़- हरियाणा में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण होने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश राज्य में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है।
बता दे कि यूथ फाॅर इक्वाॅलिटी नामक संस्था ने याचिका दायर करते हुए एडवोकेट अशोक शर्मा नाभेवाला और गौरी शर्मा ने बताया कि आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कई पीठ और संवैधानिक पीठ तय कर चुकी है कि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है। इतना ही नहीं इंदिरा साहनी मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की खंडपीठ ने भी इस विषय को लेकर स्पष्ट आदेश जारी किया था। इस सब के बावजूद हरियाणा सरकार पिछड़ा वर्ग ( सेवा में व शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण ) अधिनियम 2016 लेकर आई थी।
याचिकाकर्ता ने बताया कि इस अधिनियम के आने के बाद राज्य में कुल आरक्षण 57 फीसदी हो गया है, जो कि निर्धारित आरक्षण से 7 फीसदी अधिक है। हरियाणा में अनुसूचित जाति वर्ग को 20 प्रतिशत, बीसी ए को 16 प्रतिशत, बी को 11 प्रतिशत और सी को 10 प्रतिशत आरक्षण तय किया गया है।
ऐसी परिस्थितियों में अभी प्रदेश के संस्थानों में प्रवेश व ग्रुप सी व ग्रुप डी की नौकरियों में 57 प्रतिशत पद आरक्षित है। याची की ओर से कहा गया कि यदि इस प्रकार आरक्षण को तय सीमा से अधिक बढ़ने दिया गया तो विकट स्थिति पैदा हो सकती है। इसके बाद कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इस पूरे मामले में हरियाणा सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश सुनाया है।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.