चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पूर्व भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह की याचिका पर हरियाणा सरकार को एक नोटिस जारी किया है।
बता दें कि पिछले साल एक इंस्टाग्राम चैट के दौरान एक अन्य क्रिकेटर के खिलाफ उनकी कथित जातिवादी टिप्पणी को लेकर दायर एक प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी।
वरिष्ठ वकील पुनीत बाली, जिन्होंने सिंह का प्रतिनिधित्व किया, ने बताया कि अदालत ने कहा है कि सिंह के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए और शिकायतकर्ता और राज्य को नोटिस जारी किया गया है।
पिछले वर्ष आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में क्रिकेटर युवराज सिंह पर FIR दर्ज हुई थी. जिसके चलते अब इस मामले में युवराज सिंह ने गिरफ्तारी और अन्य कार्यवाही से बचने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
जिसकी सुनवाई गुरुवार को हुई जिसमें पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह को राहत मिली है. हाईकोर्ट ने इस मामले में एक नोटिस जारी करते हुए फिलहाल युवराज सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी हैं.
हाईकोर्ट में दर्ज याचिका खारिज
हाईकोर्ट में युवराज सिंह द्वारा लगाई गई याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने फिलहाल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने एफआईआर पर रोक लगाने से इनकार करते हुए जांच पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया हैं. हाईकोर्ट ने हरियाणा प्रशासन को निर्देश देते हुए 4 हफ्तों में जवाब मांगा हैं.
युवराज सिंह का कहना हैं कि अप्रैल 2020 में वह मस्ती मजाक के मूड में सोशल मीडिया पर अपने साथी क्रिकेटर रोहित शर्मा के साथ लाइव चैट कर रहे थे. इसी बीच चर्चा के दौरान उन्होंने मजाक में अपने साथी क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव पर एक टिप्पणी कर दी थी. जिस पर चहल की तरफ से तो कोई भी प्रतिक्रिया नही दी गई थी.
लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद दलितों के मसीहा इस पर बहुत आहत हुए और वायरल वीडियो को अनुसूचित जाति (वर्ग) के अपमान के साथ जोड़ दिया गया. वायरल वीडियो पर युवराज सिंह ने कहा जो भी हुआ वह सिर्फ एक मजाक का हिस्सा था उनका उद्देश्य किसी का अपमान करना नहीं था.
इसके स्पष्टीकरण के लिए पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह कई बार बयान भी जारी कर चुके हैं. एससी एसटी एक्ट दर्ज होने के तुरंत बाद ही उन्होंने सफाई देते हुए एक वीडियो भी जारी किया था.
Kapil reports for Neo Politico Hindi.