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Mp-भागवत कथा के मंच पर की भीम पुराण कराने की मांग, मना करने पर रची छुआछूत और भेदभाव की झूठी कहानी, जानिए पूरा सच

शिवपुरी- मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में दलितों द्वारा सनातन धर्म छोड़ कर बौद्ध धर्म अपनाने की एक खबर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जमकर वायरल हो रहीं है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि छुआछूत और भेदभाव से आहत होकर 40 दलित परिवारों ने सनातन धर्म छोड़ कर बौद्ध धर्म अपना लिया हैं। हमारी जांच पड़ताल में यह घटना पूर्णतः गलत पाई गई है, जो कि सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए एक प्रोपेगेंडा के तहत फैलाई गई हैं।

जानिए बौद्ध धर्म अपनाने का पूरा सच?

बता दे कि पूरा मामला शिवपुरी जिले के करैरा विधानसभा क्षेत्र के बहगमा गाँव का है, जहां एक लंबे समय के अंतराल के बाद 25 जनवरी से गाँव में सामूहिक रूप से भागवत कथा का आयोजन किया गया था। जिसमें गाँव की सर्व समाजों ने चंदा देकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन भागवत कथा के बीच गाँव के ही जाटव समाज के कुछ अंबेडकरवादी लोगों ने भागवत कथा के मंच पर भीम पुरण करने की मांग करते हुए हंगामा कर दिया और दिया हुआ चंदा वापिस मांगने लगे।

इतना ही नहीं बहगमा गाँव के सरपंच पति गजेंद्र रावत ने हमें बताया कि जाटव समाज के लोगों द्वारा लगाएं गए सभी आरोप गलत है, छुआछूत और भेदभाव जैसी कोई बात नहीं हुई हैं। उन्होंने बताया कि गाँव में हुई भागवत कथा में वंशकार, परिहार और हरिजन समाज के लोग भी कथा के पूरे कार्यक्रम में शामिल थे। अगर छुआछूत जैसी कोई बात होती तो यह समाज भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होती, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

वहीं पड़ोसी गाँव करई के निवासी नीरज शर्मा ने बताया कि 25 जनवरी को भागवत कथा का कलश यात्रा के साथ श्री गणेश हुआ था, इस कलश यात्रा में जाटव समाज की बहन बेटियों सहित छोटी-छोटी बच्चियां भी शामिल हुई थी। नीरज ने बताया कि कथा के दौरान जाटव समाज के लोगों ने कथा मंच से भीम पुराण करने की मांग रख दी, जिसको गाँव के सभी लोगों ने अस्वीकार कर दिया था। यहीं से इस पूरे विवाद की शुरुआत हुई थी। नीरज ने आगे बताया कि गाँव में 25 साल बाद भागवत कथा का आयोजन किया गया था, जिसमें सभी समाज के लोग शामिल हुए थे।

उन्होंने बताया कि बहगमा सहित क्षेत्र के जाटव बाहुल्य गाँवों में पिछले दो साल से जाटव समाज के लोगों का ब्रेनवाश किया जा रहा है, अंबेडकरवादी संगठनों के कई लोग गाँवों में आते हैं और लोगों को सनातन धर्म के खिलाफ भड़काते हैं। बहगमा गाँव में भी कुछ ऐसा ही हुआ, नीरज ने कहा मेहताब जाटव नाम का एक युवक जो भीम आर्मी का सक्रिय सदस्य हैं। वह गाँव में आकर रहने लगा और आए दिन जाटव समाज के लोगों को भड़काता रहता हैं।

भीम आर्मी के लोगों ने देखा कि जाटव समाज के लोग समाज के सभी वर्गों के लोगों के साथ धार्मिक कार्यक्रमों में भाग ले रहें हैं, भगवान की पूजा पाठ कर रहें हैं और समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहें हैं। इसलिए इन लोगों को भड़काया और भागवत कथा के मंच से भीम पुराण की मांग कर दी, जिसे सभी ने अस्वीकार कर दिया। यह सब कुछ एक षड्यंत्र के तहत किया गया था और मात्र 12 घंटे में ही लोगों को बौद्ध धर्म की शपथ दिला दी गई।

इतना ही नहीं बहगमा गाँव के पूर्व सरपंच मलखान कोहली ने बताया कि जब गाँव में भागवत कथा के आयोजन का कार्यक्रम तय हुआ, तब सभी समाज के लोग कथावाचक पं श्री हरिहरानंद जी महाराज को सुपारी देने उत्तरप्रदेश गए थे। जिसमें सभी समाज का एक-एक जन प्रतिनिधि शामिल था, जाटव समाज से भी रामदयाल जाटव हमारे साथ गए हुए थे। छुआछूत जैसा आरोप गलत हैं।

वहीं शिवपुरी जिले की सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष डॉ सुषमा पांडे तहसीलदार अमित दुबे के साथ बहगमा गाँव पहुंची और दोनों पक्ष से मिलकर बात की, उन्होंने कहा कि एक वीडियो सामने आया है, जिसमें बच्चे-बड़े सभी धर्म परिवर्तन की शपथ ले रहें हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।

कथा के 6 दिन तक तो सब कुछ ठीक चला पर सातवें दिन ऐसा क्या हुआ कि धर्म परिवर्तन कर लिया। डॉ पांडे ने कहा कि पूरे मामले को कलेक्टर के सामने रखूंगी, धर्म परिवर्तन के भी अपने नियम हैं। गाँव में बाकी और भी जातियां है, जो एससी में आती हैं। लेकिन वह सभी कथा में शामिल थी। लेकिन सिर्फ एक समाज ने ही ऐसा क्यों किया, इसकी जांच होनी चाहिए।

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