नई दिल्ली: धर्मांतरण को लेकर झारखंड से भाजपा के लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे का कहना है कि धर्मांतरण के बाद मिलने वालें आरक्षण और अन्य जरूरी सुविधाओं से खत्म कर देना चाहिए, जिससे धर्म परिवर्तन को रोका जा सकें
देश में बढ़ते धर्मांतरण को देखते हुए भाजपा लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ने गहरी चिंता जताई और धर्मांतरण रोकने के लिए ठोस कदम उठाये जाने की बात कही हैं।
संसद में धर्म परिवर्तन का मुद्दा उठाते हुए सांसद निशिकांत दुबे ने धर्मांतरण को गंभीर समस्या बताते हुए धारा 341 और धारा 342 में समानता लाने की सिफारिश की हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि दोनों धाराओं में समानता लाने से ही मतांतरण रूकेगा।
उन्होंने कहा कि आज अनुसूचित जाति का मतांतरण इसलिए रुका है क्योंकि धर्म परिवर्तन के बाद उनसे आरक्षण और अन्य सुविधाएं वापस ले ली जाती है। ऐसा ही अनुसूचित जनजाति के लिए भी होना चाहिए क्योंकि उनका अलग व्यवहार व विचार हैं। जिससे धर्म परिवर्तन जैसी गंभीर और भयंकर समस्या से निपटा जा सकें।
पहले भी उठाया था मुद्दा
पिछले साल 2019 में शीतकालीन सत्र के दौरान अपने भाषण के दौरान निशिकांत दुबे ने कहा था कि “देश में संविधान में लिखा था किस किसको आरक्षण की सुविधा मिले, एससी एसटी को आरक्षण मिले यह संविधान सभा का खुला मत था। उस आरक्षण में दो भेदभाव हो गए, यदि SC (अनुसूचित जाति) धर्म परिवर्तन कर ले तो उसे आरक्षण नहीं मिलेगा। लेकिन ST (अनुसूचित जनजाति) के लिए कहा गया था, क्योंकि उनका रहन-सहन संस्कृति आचार व्यवहार अलग है इस कारण से ST को एक कारण दे दिया गया।”
आदिवासियों की आबादी घटी:
दुबे नें आज़ादी के बाद से झारखंड के आदिवासियों के धर्मांतरण की दशा बताते हुए कहा था कि “झारखंड की स्थिति यह है कि जो आजादी के समय 26 से 27% के आसपास आबादी आदिवासी हैं उनमें से उस समय केवल 3% लोग ईसाई थी, धर्मांतरण 3% लोग किए थे।
उन्होंने कहा था कि धर्मांतरण करने का भी एक कानून 1947 में बना था जो ये कहता था कि धर्मांतरण हो तो कोई रोक-टोक नहीं है लेकिन डीएम के साथ उसको जानकारी होनी चाहिए। लेकिन आज स्थिति यह है कि उस 26% में से 20% आदिवासी लगभग डेढ़ करोड़ लोगों ने धर्मांतरण कर लिया। धर्मांतरण करने से उनकी पूरी संस्कृति बदल गई, धर्मांतरण करने वाले लोगों को सामाजिक शैक्षणिक और विशेष आर्थिक तौर पर प्रभावित करके धर्म परिवर्तन करा रहे हैं।”
Kapil reports for Neo Politico Hindi.