1989 में हुए जमीनी विवाद में अब लगाया गया SC ST एक्ट, BJP विधायक दुरूपयोग के खिलाफ विधानसभा में उठाएंगे आवाज

मथुरा- उत्तरप्रदेश में मथुरा जिले के कलेक्ट्रेट कार्यालय में स्थित सभा कक्ष में जनपद स्तर पर अनुसूचित जाति, जनजाति के जनप्रतिनिधियों की बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें एससी एसटी एक्ट में पीड़ित को मिलने वाली मुआवजा राशि लेकर बीजेपी विधायक आपस में ही एक दूसरे के खिलाफ हो गए।

विधानसभा में उठाएंगे मुद्दा

दरअसल सभा कक्ष में आयोजित बैठक में समाज कल्याण अधिकारी नागेंद्र पाल सिंह ने एससी एसटी एक्ट में दर्ज मुकदमों और मिलने वाले मुआवजे राशि को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसके बाद बैठक में उपस्थित मांट से भाजपा विधायक राजेश चौधरी और गोवर्धन से विधायक ठाकुर मेघश्याम सिंह ने सवाल उठाया कि अगर मामला गलत पाया जाता है, तो मुआवजे में मिली राशि भी वापिस होनी चाहिए।

बैठक में जहां एक ओर बालदेव से भाजपा विधायक पूरन प्रकाश ने एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज होने के बाद मिलने वाले मुआवजे को उचित ठहराया, तो वहीं मांट से विधायक राजेश चौधरी और गोवर्धन से विधायक ठाकुर मेघ श्याम ने मामला गलत पाए जाने पर मिलने वाली मुआवजा राशि को वापस न लिए जाने पर सवाल उठाए हैं।

मांट विधायक राजेश चौधरी ने आगे कहा कि एससी एसटी एक्ट में गुण दोष के आधार पर ही मुआवजा राशि देने का प्रावधान होना चाहिए, जिसके बाद दोनों विधायकों ने इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाने की बात कहीं हैं।

33 साल बाद जोड़ी गई एससी एसटी एक्ट की धाराएं

वहीं विधायक राजेश चौधरी ने एक पुराने केस का उदाहरण देते हुए कहा कि 1989 में जमानी विवाद के चलते थाना गोविंद नगर में एक केस दर्ज किया गया था, जिसमें अब 33 साल बाद 2022 में एससी एसटी एक्ट की धाराएं बढ़ा दी गई है।

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Kapil reports for Neo Politico Hindi.

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