तिरुपति प्रसाद में ‘अपवित्रता’ पर शंकराचार्य का फूटा गुस्सा: ‘आस्था से खिलवाड़, हत्या से भी बड़ा अपराध!’

लखनऊ: तिरुमला मंदिर के प्रसादम को लेकर हुए विवाद पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे भक्तों की भावनाओं के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ और गंभीर अपराध बताया। शंकराचार्यजी ने मंदिरों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप की कड़ी निंदा करते हुए, इस पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही और मंदिरों की धार्मिक परंपराओं को बचाने के लिए मंदिरों का प्रबंधन धर्माचार्यों को सौंपने पर जोर दिया।

भगवान के प्रसाद में अपवित्रता गंभीर अपराध

शंकराचार्य महाराज ने तिरुमला मंदिर के प्रसादम में अपवित्र घटकों के मिलाने को हिंदू समाज के प्रति अपराध बताया। उन्होंने इस मुद्दे पर उच्च स्तरीय जांच की मांग की और कहा कि दोषियों को तुरंत गिरफ्तार कर सख्त सजा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई ऐसी हरकत न कर सके। उनका मानना है कि यह अपराध किसी की हत्या से भी बड़ा है।

सरकारी हस्तक्षेप खत्म हो

शंकराचार्यजी ने कहा कि मंदिरों में पूजा पद्धति और धार्मिक परंपराओं का पालन सिर्फ धर्माचार्यों द्वारा ही किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को मंदिरों के प्रबंधन में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बंद कर देना चाहिए, क्योंकि जो लोग आस्था से जुड़े हैं, वही मंदिरों की परंपराओं को सही ढंग से निभा सकते हैं।

बद्रीनाथ और केदारनाथ में भी ऐसा ही हो रहा है

तिरुमला मंदिर में हुए इस घटना का हवाला देते हुए शंकराचार्य ने कहा कि बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे प्रमुख मंदिरों में भी सरकार पारंपरिक प्रबंधकों को हटाकर नई भर्ती प्रक्रिया से मंदिर प्रबंधन करवा रही है। उन्होंने कहा कि इससे मंदिरों में काम करने वाले लोग आस्था के बजाय सिर्फ नौकरी के रूप में मंदिर सेवा करेंगे, जो धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने जैसा होगा।

चंद्रबाबू नायडू का अभिनंदन और वन नेशन, वन गौ कानून की मांग शंकराचार्य महाराज ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की सराहना करते हुए कहा कि अगर आरोपों में सच्चाई नहीं होती, तो उनका अब तक घेराव हो चुका होता। इसके अलावा, उन्होंने तिरुपति के प्रसाद में इस्तेमाल हो रहे घी की कीमतों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 350 रुपये में घी मिलना संभव नहीं है। उन्होंने वन नेशन, वन इलेक्शन की तरह ‘वन नेशन, वन गौ कानून’ की मांग की और उत्तर प्रदेश में गौमांस निर्यात पर चिंता जताई।

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