बटेंगे तो कटेंगे! BJP ने की यति नरसिंहानंद की गिरफ्तारी की मांग, कहा जितनी निंदा की जाये कम

श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ लद्दाख के कई प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखकर हिंदू पुजारी यति नरसिंहानंद के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है। वहीं, बीजेपी के कई शीर्ष नेताओं ने भी नरसिंहानंद के पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ कथित भड़काऊ बयान की निंदा की है।

भाजपा अध्यक्ष ने कार्यवाई की मांग

बीजेपी के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष रविंदर रैना ने नरसिंहानंद के बयान पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “ऐसे बयान न केवल सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि देश की शांति और एकता के खिलाफ भी जाते हैं। सभी धार्मिक भावनाओं का सम्मान जरूरी है। इस मामले में जल्द कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि देश के सामाजिक ताने-बाने को सुरक्षित रखा जा सके।”

दरख्शां अंद्राबी का कड़ा बयान

बीजेपी की वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष, दरख़्शां अंद्राबी ने भी यति नरसिंहानंद की कथित टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “मैं यति नरसिंहानंद द्वारा हजरत मुहम्मद मुस्तफा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के खिलाफ दिए गए आपत्तिजनक बयान की कड़ी निंदा करती हूं। ऐसे व्यक्तियों को सख्त सज़ा दी जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने करोड़ों विश्वासियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। ऐसे लोग समाज में जहर घोलने वाले परजीवी हैं, जो शांति के दुश्मन हैं।”

मुस्लिम नेताओं की चिट्ठी में क्या कहा गया?

इस बीच, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने गृह मंत्री को पत्र लिखते हुए कहा, “हम आपको एक गंभीर मुद्दे की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं, जिसने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। यति नरसिंहानंद द्वारा पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के खिलाफ दिए गए भड़काऊ और अपमानजनक बयान ने मुस्लिम समुदाय को गहरे भावनात्मक चोट पहुंचाई है और इससे बड़े पैमाने पर अशांति फैलने की संभावना है।” पत्र में आगे कहा गया, “भारत एक ऐसा देश है जहाँ कई धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान किया जाता है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इससे किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाए। ऐसे बयान केवल नफरत फैलाते हैं और सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाते हैं।”

इन प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने हस्ताक्षर किए

इस पत्र पर कश्मीर के मुख्य मौलवी उमर फारूक, ग्रैंड मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम, दारुल उलूम रहीमिया के प्रमुख मौलाना रहमतुल्लाह कासिमी, अंजुमन शरिए शिया के प्रमुख आगा सैयद हसन अल मूसवी, जम्मू की जामा मस्जिद के मुफ्ती इनायतुल्लाह कासमी, कारगिल के इमाम खोमिनी मेमोरियल ट्रस्ट के शेख सादिक रजाई, कारगिल के जामियतुल उलेमा के शेख नजीर मेहदी और लेह की जामा मस्जिद के मौलाना उमर नदवी जैसे बड़े मुस्लिम नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं।

नेताओं ने गृह मंत्री से अपील की कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाए और सभी समुदायों के बीच शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। पत्र में कहा गया, “इस मामले में तत्काल और सख्त कार्रवाई से यह संदेश जाएगा कि नफरत फैलाने वाले और हिंसा को उकसाने वाले समाज में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।”


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