हाथरस: नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली सांसद राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुए एमपी-एमएलए कोर्ट में परिवाद दायर किया गया है। मामला 2020 में चर्चा में आए बूलगढ़ी कांड से जुड़ा है, जिसमें राहुल गांधी द्वारा X (पूर्व में ट्विटर) पर की गई पोस्ट को लेकर विवाद खड़ा हुआ।
क्या है मामला?
12 दिसंबर 2023 को राहुल गांधी अचानक हाथरस पहुंचे थे। उन्होंने वहां पीड़िता के परिवार से मुलाकात की और अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। इसके बाद उन्होंने X पर पोस्ट किया, जिसमें लिखा: “रेप पीड़िता के परिवार को घर में बंद रखना और गैंगरेप के आरोपियों का खुलेआम घूमना, बाबा साहेब के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।” इस पोस्ट ने विवाद खड़ा कर दिया। बूलगढ़ी कांड में रेप और हत्या के आरोपों से बरी हुए युवकों – रवि, राम कुमार उर्फ रामू और लवकुश – के वकील मुन्ना सिंह पुंढीर ने इसे “अपमानजनक” और “न्यायपालिका की अवमानना” करार दिया।
लीगल नोटिस और ₹1.5 करोड़ का दावा
राहुल गांधी को वकील मुन्ना सिंह पुंढीर ने युवकों की ओर से ₹1.5 करोड़ का लीगल नोटिस भेजा। नोटिस में कहा गया कि प्रत्येक युवक को 50-50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। वकील का कहना था कि कोर्ट से दोषमुक्त होने के बाद तीनों युवक समाज में सम्मान के साथ जीवन बिता रहे थे, लेकिन राहुल गांधी की इस पोस्ट ने उनके जीवन को दोबारा संकट में डाल दिया। नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया कि अदालत द्वारा निर्दोष घोषित किए जाने के बावजूद, राहुल गांधी ने जानबूझकर अपमानजनक बयान दिए। इससे युवकों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा और उनके जीवन पर नकारात्मक असर पड़ा। दायर परिवाद में कहा गया है कि राहुल गांधी का यह कदम भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 356(2) के तहत दंडनीय अपराध है। याचिका में अदालत से अपील की गई है कि राहुल गांधी को न्यायिक आदेशों की अवमानना और अपमानजनक बयान देने के लिए दंडित किया जाए।
बूलगढ़ी कांड: मामला जिसने देश को झकझोर दिया
यह मामला 14 सितंबर 2020 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बूलगढ़ी गांव में शुरू हुआ, जब एक दलित युवती के साथ कथित दरिंदगी की घटना हुई। 29 सितंबर 2020 को युवती की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई। पुलिस ने बिना परिजनों की सहमति के रात में ही युवती का अंतिम संस्कार कर दिया। इस घटना ने देशभर में आक्रोश फैला दिया। यूपी पुलिस की जांच पर सवाल उठे, जिसके बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया। कोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों – रवि, रामू और लवकुश – को बरी कर दिया। अदालत ने इसे रेप केस मानने से इनकार कर दिया और इसे गैर-इरादतन हत्या का मामला करार दिया। मुख्य आरोपी संदीप सिसौदिया को दोषी ठहराया गया और वह अभी जेल में है।
वकील का बयान: राहुल गांधी ने की गंदी राजनीति
वकील मुन्ना सिंह पुंढीर ने राहुल गांधी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने अदालत के फैसले को नजरअंदाज करते हुए जानबूझकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जो उनकी “गंदी राजनीति” को दर्शाता है। वकील ने यह भी कहा कि, “मेरे पक्षकारों को अदालत से बरी होने के बाद समाज में सम्मान के साथ जीवन बिताने का अवसर मिल रहा था। लेकिन राहुल गांधी ने अपमानजनक बयान देकर उनके जीवन को दोबारा कलंकित कर दिया। यह न्यायपालिका का अपमान है।”
राहुल गांधी की पोस्ट और विवाद
राहुल गांधी ने अपनी पोस्ट में लिखा था कि रेप पीड़िता का परिवार घर में बंद है और आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। वकील ने इसे “न्यायिक आदेश का मजाक” करार दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का हर शब्द देशभर में प्रभाव डालता है, इसलिए इस पोस्ट को एक जिम्मेदार नेता के कृत्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अब इस मामले में 10 फरवरी 2025 को एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई होगी। क्या राहुल गांधी को उनके बयान के लिए माफी मांगनी पड़ेगी, या वे इस मामले में कोई कानूनी सफाई देंगे? यह देखना दिलचस्प होगा। यह मामला कानूनी और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है और इसके नतीजे आने वाले दिनों में बड़ा असर डाल सकते हैं।