SC ST एक्ट का दुरूपयोग रोकें DGP, FIR से पहले जाँच का आदेश, हाई कोर्ट हुआ सख्त

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर गहरी चिंता जताते हुए राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यह अधिनियम, जिसे पीड़ितों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया था, कुछ व्यक्तियों द्वारा मुआवजे के लिए गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। न्यायालय ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए एक निगरानी प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता बताई है, जिससे झूठी शिकायतों पर नियंत्रण किया जा सके।

जिलों के पुलिस अधिकारियों को आवश्यक सर्कुलर

कोर्ट ने जिलों के पुलिस अधिकारियों को आवश्यक सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है। इस सर्कुलर के माध्यम से, पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि वे शिकायतों की पूरी जांच करें और बिना सही जानकारी के FIR दर्ज न करें। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि झूठी शिकायतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और उन लोगों को दंडित किया जाए जो कानून का दुरुपयोग करते हैं।

धारा 182 IPC और BNS 2023 की धारा 217 पर विचार

जस्टिस मंजू रानी चौहान ने IPC की धारा 182 और BNS 2023 की धारा 217 के उपयोग पर विचार करने का सुझाव दिया है। ये धाराएँ झूठी शिकायतें दर्ज कराने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान करती हैं।

कोर्ट ने कहा कि इन धाराओं का सही तरीके से इस्तेमाल कर झूठी शिकायतों के मामलों को कम किया जा सकता है और जो लोग ऐसी शिकायतें करते हैं, उन्हें उचित दंड दिया जा सकेगा।

कोर्ट ने यह भी कहा कि FIR दर्ज करने से पहले शिकायतों की सही जानकारी जुटाई जानी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल वास्तविक पीड़ितों को ही राहत मिले और झूठी शिकायतें दर्ज करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। कोर्ट ने बताया कि यह प्रक्रिया न केवल कानून का दुरुपयोग रोकने में मदद करेगी, बल्कि न्याय प्रणाली पर लोगों के विश्वास को भी बनाए रखेगी।

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