‘जय श्री राम’ के नारे पर स्कूल में हंगामा, छात्र को परीक्षा से रोका, ABVP सड़क पर उतरा

चित्रकूट: संत थॉमस स्कूल में 10वीं कक्षा के छात्र द्वारा ‘जय श्री राम’ का नारा लगाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया। स्कूल प्रशासन ने इसे अनुशासनहीनता करार देते हुए छात्र को परीक्षा में बैठने से रोक दिया। घटना के बाद से स्कूल के बाहर जमकर हंगामा हुआ, स्थानीय लोग और संगठनों ने इसे धार्मिक भेदभाव का मामला बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

घटना का विवरण: क्या हुआ स्कूल में?

10वीं कक्षा का छात्र हर्ष पांडे परीक्षा देने के लिए स्कूल में मौजूद था। बताया जाता है कि उसने स्कूल परिसर में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया। इसके तुरंत बाद, स्कूल प्रशासन ने उसे परीक्षा देने से रोक दिया। छात्र के पिता ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि उनके बेटे को महज धार्मिक नारा लगाने की वजह से सजा दी गई। उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन बताया। वहीं, स्कूल प्रशासन ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि छात्र को तीन घंटे तक परीक्षा में बैठने दिया गया और उनके पिता को बुलाया गया, लेकिन वे स्कूल नहीं आए। प्रशासन ने दावा किया कि यह कदम स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के लिए उठाया गया।

स्कूल के बाहर बढ़ता हंगामा

घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोग और संगठनों का गुस्सा फूट पड़ा। बड़ी संख्या में लोग स्कूल के बाहर इकट्ठा हो गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। लोगों ने स्कूल प्रशासन के फैसले को धार्मिक भेदभाव करार दिया। प्रदर्शन के दौरान कई लोगों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। नाराज भीड़ ने प्रशासन से मामले में सफाई देने की मांग की। विवाद बढ़ने के बाद पुलिस को बुलाना पड़ा ताकि स्थिति नियंत्रण में लाई जा सके।

राजनीतिक रंग लेता मामला

इस घटना ने राजनीतिक मोड़ भी ले लिया। समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष अनुज यादव ने मामले को लेकर निष्पक्ष जांच की मांग की। उनका कहना था कि स्कूल ने छात्र के साथ अन्याय किया है और इसे तुरंत सही किया जाना चाहिए। विद्यार्थी परिषद ने भी इस मुद्दे पर विरोध जताया और स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटना छात्रों के अधिकारों का हनन है और इसके खिलाफ कड़ा कदम उठाया जाना चाहिए।

स्थानीय लोगों की मांग और प्रशासन की चुप्पी

घटना के बाद से समाज के विभिन्न वर्गों में आक्रोश है। लोगों ने इस मामले को लेकर निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे लोगों के आक्रोश में और इजाफा हो रहा है। घटना ने धार्मिक स्वतंत्रता और स्कूल में अनुशासन जैसे मुद्दों को लेकर व्यापक बहस छेड़ दी है।

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