दिल्ली: नरेला इलाके में आरएसएस के जिला कार्यवाहक जितेंद्र कुमार भारद्वाज का शव संदिग्ध हालात में मिला, जिससे इलाके में हलचल मच गई है। परिवार ने इसे हत्या बताया है, जबकि पुलिस इसे एक हादसा मान रही है और जांच कर रही है। जितेंद्र कुमार न केवल आरएसएस के प्रमुख पदाधिकारी थे, बल्कि यूपीएससी छात्रों के मार्गदर्शक भी थे और ‘बीकन आईएएस’ कोचिंग के डायरेक्टर थे।
शव मिलने से फैली सनसनी
सोमवार सुबह नरेला के भोरगढ़ इलाके में रेलवे ट्रैक के पास आरएसएस के जिला कार्यवाहक जितेंद्र कुमार भारद्वाज का शव मिला। वह रविवार शाम आरएसएस की एक बैठक में शामिल होने के लिए घर से निकले थे, लेकिन देर रात तक वापस नहीं लौटे। उनका फोन 7:48 बजे के बाद से बंद हो गया था, जिसके बाद परिजनों ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। सुबह पुलिस ने तलाशी के दौरान रेलवे ट्रैक के पास उनका शव बरामद किया। सिर और शरीर का कुछ हिस्सा बुरी तरह घायल था। पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराकर परिवार को सौंप दिया।
हत्या या हादसा? परिवार और पुलिस के अलग-अलग दावे
पुलिस का मानना है कि यह एक हादसा हो सकता है, जबकि परिवार ने इसे हत्या बताया है। परिजनों का कहना है कि जितेंद्र कुमार इलाके में अवैध मज़ारों के खिलाफ मुहिम चला रहे थे, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता था। परिवार के अनुसार, जितेंद्र चार दिन गोवाहाटी में रहने के बाद रविवार शाम दिल्ली लौटे थे और आरएसएस की एक मीटिंग के लिए निकले थे, लेकिन वहां नहीं पहुंचे। उनके भाई ने पुलिस को सूचना दी थी।
घर से निकलते वक्त जितेंद्र ने पत्नी से मजाक में कहा था, “आज तो घर पर ही खाना खाऊंगा।” लेकिन जब उनका फोन रात में बंद मिला, तो परिवार चिंतित हो गया। सुबह उनका शव मिलने के बाद परिवार ने हत्या का आरोप लगाया।पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज कब्जे में लिए हैं और अलग-अलग टीमों को मामले की जांच की जिम्मेदारी दी है।
पुलिस सभी संभावनाओं को ध्यान में रखकर जांच कर रही है। जितेंद्र कुमार आरएसएस के एक सम्मानित पदाधिकारी थे और नॉर्थ ईस्ट में पांच साल तक प्रचारक के रूप में सेवा कर चुके थे। उनकी अचानक हुई मौत ने समाज में हलचल पैदा कर दी है। कई संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और जल्द न्याय की मांग की है।