आगरा: 6 हत्याओं के मामले में 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट से बरी हुए गंभीर सिंह ने कहा, “मैं निर्दोष था, मुझे भगवान पर भरोसा था। भगवान ने न्याय किया और मुझे बचा लिया। अब मैं इस कलंक को धोकर नई जिंदगी जीना चाहता हूं।” बुधवार सुबह आगरा केंद्रीय कारागार से रिहा होने के बाद उन्होंने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में अपनी आपबीती सुनाई।
क्या था मामला
यह मामला 9 मई 2012 का है, जब आगरा के गांव तुरकिया में सत्यप्रकाश, उनकी पत्नी पुष्पा और उनके चार बच्चों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने सत्यप्रकाश के छोटे भाई गंभीर सिंह को मुख्य आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया था। स्थानीय अदालत ने इस मामले में गंभीर को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी। बाद में हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में अपील के दौरान पुलिस की विवेचना में लापरवाही और ठोस साक्ष्य के अभाव में 27 जनवरी 2025 को उन्हें बरी कर दिया गया।
बिना किसी जानकारी के गिरफ्तारी
12 फरवरी 2025 को सुबह 8 बजे जब गंभीर सिंह को जेल से रिहा किया गया, तो कोई भी रिश्तेदार उन्हें लेने नहीं पहुंचा। उन्होंने अपने जीजा को फोन किया, लेकिन उन्होंने आने से मना कर दिया। गंभीर सिंह के मुताबिक, जेल से बाहर निकलते समय उनके पास केवल 300 रुपये थे, जो उन्हें बैरक में साथ रहने वाले साथी कैदी राजवीर और विजय ने दिए थे। उन्होंने कहा, “जिस दिन यह घटना हुई थी, मैं गांव में नहीं था। मैं जयपुर में काम करता था। मेरे भाई सत्यप्रकाश का किसी से झगड़ा हो गया था, और उन्होंने मुझे जयपुर से बुलाया था। 8 मई 2012 को भाई ने मुझे 1000 रुपये देकर बहन गायत्री को ससुराल छोड़ने भेजा था। लेकिन अगले दिन पुलिस ने मुझे ईदगाह बस स्टैंड से पकड़ लिया और कुछ बताए बिना ही गाड़ी में बैठा लिया। जब जेल पहुंचा, तब मुझे बताया गया कि मुझ पर 6 हत्याओं का आरोप है।
अब अपने वकील से मिलूंगा और धन्यवाद कहूंगा
गंभीर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी ओर से सरकारी अधिवक्ता राकेश उपाध्याय ने पैरवी की थी। अभी तक वह अपने वकील से नहीं मिल पाए हैं, लेकिन जल्द ही उनसे मिलकर धन्यवाद देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे भगवान पर भरोसा था और वही मेरा सहारा बने। अब मुझे नई जिंदगी शुरू करनी है, लेकिन मेरी जान को खतरा बना हुआ है।”